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Municipal corporation: 20 लाख के चक्कर में आवारा श्वान नियंत्रण कार्यक्रम बंद

locationछिंदवाड़ाPublished: Jan 16, 2021 06:01:00 pm

Submitted by:

prabha shankar

एजेंसी ने कामकाज समेटा, शहर में पहले से बढ़ गई संख्या

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chhindwara

छिंदवाड़ा। नगर निगम में बीस लाख रुपए के पैंडिंग बिल के चक्कर में आवारा श्वान नियंत्रण कार्यक्रम बंंद कर दिया गया है। इस कार्यक्रम की एजेंसी ने भी अपना कामकाज समेट लिया है। इससे शहर में पहले की अपेक्षा श्वानों की संख्या बढ़ गई है।
इस कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 2017 में प्राइवेट एजेंसी ने की थी। जिसमें एक पशु चिकित्सक की नियुक्ति करते हुए लहगडुआ में नसबंदी के इंतजाम किए गए थे। एक साल तो आवारा श्वानों की धरपकड़ करते हुए नसबंदी करने का सिलसिला चलता रहा। फिर भुगतान न होने से यह कार्यक्रम बंद हो गया। वर्ष 2019 में फिर एजेंसी का अनुबंध बढ़ाया गया। फिर कुछ आवारा श्वानों को धरपकड़ करने का अभियान चला। फिर भुगतान न होने पर एजेंसी ने काम बंद कर दिया। निगम सूत्रों का कहना है कि एजेंसी द्वारा चार साल का बिल 20 लाख रुपए एक साथ स्वास्थ्य विभाग को दे दिया गया है। इसके साथ ही पांच हजार से अधिक श्वानों की नसबंदी का दावा किया गया है। इससे स्वास्थ्य कर्मचारी से लेकर बड़े अधिकारी तक संतुष्ट नहीं हैं। वे पिछले सालों के बिलों को संदिग्ध नजरों से देख रहे हैं। इस वजह से निगम अधिकारियों द्वारा बिल भुगतान रोक लिया गया है। इसके चलते पूरा आवारा श्वान नियंत्रण कार्यक्रम बंद करना पड़ा है। निगम अधिकारी बजट न होने का भी हवाला दे रहे हैं।
छह माह में हो जाती है श्वानों की संख्या दोगुनी
आवारा श्वानों की नसबंदी नहीं की जाए तो उनकी संख्या छह माह में दोगुनी हो जाती है। सार्वजनिक स्थल और गली-मोहल्लों में इनकी संख्या को तेजी से बढ़ते हुए देखा जा सकता है। फिर गली में अनजान व्यक्तियों के देखने पर डॉग बाइट की समस्या बन जाती है।
पांच सौ से ज्यादा रैबीज इंजेक्शन का औसत
शहर समेत पूरे जिले से जिला अस्पताल आने वाले डॉग बाइट के केस की संख्या देखी जाए तो एक माह में पांच सौ से ज्यादा है। इतने रैबीज इंजेक्शन पीडि़तों को लगाने पड़ते हैं। इसके अलावा गैर सरकारी आंकड़ा अलग है। मेडिकल स्टोर्स से भी इन इंजेक्शनों की खपत हो रही है। इससे डॉग बाइट की स्थिति को समझा जा सकता है।
निगम का आवारा श्वान नियंत्रण कार्यक्रम में बकाया भुगतान बजट न होने के चलते नहीं हो पा रहा है। जैसे ही निगम के पास बजट उपलब्ध होगा, उसे शुरू कराया जाएगा।
हिमांशु सिंह, आयुक्त नगर निगम

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