छिंदवाड़ा

मानसून की भेंट चढ़ेगी रेलवे की यह महत्वपूर्ण परियोजना

निर्माण की समय सीमा 31 मई 2019 रखी गई थी जो बीत चुकी है

छिंदवाड़ाJun 06, 2019 / 12:52 am

prabha shankar

Train Engine failed at merta Road Railway Station in Nagaur

छिंदवाड़ा. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे नागपुर मंडल के तहत नागपुर-छिंदवाड़ा ब्रॉडगेज परियोजना में शेष रह गए निर्माण में बारिश बड़ी बाधा बन सकती है। करीब 145 किमी लम्बे इस ट्रैक पर केवल भिमालगोंदी से भंडारकुंड के बीच सिर्फ 20 किलोमीटर का निर्माण शेष रह गया है। इस निर्माण की समय सीमा 31 मई 2019 रखी गई थी जो बीत चुकी है।
परियोजना का अंतिम चरण होने के बावजूद कार्य को तेज गति नहीं दी जा सकी। जबकि मानसून आने को है। इससे तय है कि अब इस परियोजना को अंतिम रूप बारिश के बाद ही दिया सकेगा। वर्तमान में शेष रह गए भिमालगोंदी से भंडारकुंड खंड के बीच टै्रक बिछाने का काम चल रहा है। जून के अंतिम सप्ताह तक इस टै्रक के लिए सीआरएस चैकिंग का लक्ष्य रखा गया है। जबकि 15 जून से मानसून की सम्भावना जताई जा रही है, ऐसे में निर्माण पूरा करना और सीआरएस करवा पाना रेलवे के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।
जानकारों की मानें तो इस टै्रक पर टे्रन चलाने में अब भी तीन माह से ज्याद का समय लग सकता है। क्योंकि बारिश के दौरान जंगल और दुर्गम क्षेत्र होने से वाहनों का आना-जाना बंद हो जाएगा। हांलाकि बारिश शुरू होने से पहले रेलवे ट्रैक बिछाने का कार्य पूर्ण करने का दावा तो कर रहा है, लेकिन सीएसआर नहीं हो पाएगा।

20 किमी के ट्रैक का निर्माण चुनौती भरा
भंडारकुंड-भिमालगोंदी के बीच 20 किमी के ट्रैक को पूर्ण करने में रेलवे को पसीना आ रहा है। इस कठिनाई भरे मार्ग पर 45 मीटर ऊंचा रेलवे ब्रिज, 26 बड़े व 275 छोटे ब्रिज, घाट सेक्शन पर 700 मीटर एवं 120 मीटर की दो सुरंगों का निर्माण किया गया है। इस मार्ग पर वर्तमान में ट्रैक बिछाने का कार्य चल रहा है, लेकिन निर्माण पूर्ण होने के बाद सीएसआर कराना मुख्य चुनौती होगी।

तीनों सेक्शन पर दौडऩे लगी ट्रेन
चार चरणों में पूरी जा रही इस परियोजना के तीन चरण पूरे हो चुके हैं और यात्री ट्रेनें भी शुरू कर दी गई हैं। ये तीन चरण इतवारी से केलोद, केलोद से भंडारकुंड और भंडारकुंड से छिंदवाड़ा हैं। निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद सीएसआर की हरी झंडी मिलते ही पैसेंजर ट्रेनों का परिचालन भी शुरू कर दिया गया। उल्लेखनीय है कि चौथे व अंतिम चरण के निर्माण को पूर्ण करने के लिए रेलवे ने बजट में इस परियोजना को 150 करोड़ की स्वीकृति दी गई थीण्। इसके बाद कार्य में तेजी भी दिखाई दी, लेकिन तय लक्ष्य से पहले पूरी नहीं हो सकी।

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