script‘अपशिष्ट प्रबंधन में लापरवाही मानव के लिए खतरा’ | 'Neglect in the waste management threat to humans' | Patrika News

‘अपशिष्ट प्रबंधन में लापरवाही मानव के लिए खतरा’

locationछिंदवाड़ाPublished: Mar 01, 2019 10:54:18 am

पीजी कॉलेज में नेशनल सेमिनार : देशभर के वैज्ञानिक और रिसर्च स्कालर

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‘अपशिष्ट प्रबंधन में लापरवाही मानव के लिए खतरा’

छिंदवाड़ा. घरों और कारखानों से निकलने वाला एेसा कचरा जो नष्ट नहीं हो सकता, इसको लेकर की जा रही लापरवाही गंभीर परिणाम दे रही है। यह लापरवाही मानव जीवन के लिए खतरा साबित हो रही है। इसके लिए सिर्फ सरकार या स्थानीय प्रशासन नहीं लोगों को खुद जागरूक होना होगा।
यह बात पीजी कॉलेज में गुरुवार से शुरू हुए राष्ट्रीय सेमिनार में वैज्ञानिकों ने कही। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन विषय पर पीजी कॉलेज
के प्राणी शास्त्र विभाग ने तीन दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है।
पहले दिन उद्घाटन सत्र के बाद वैज्ञानिकों और रिसर्च स्कालरों ने अपनी बात रखी। प्रमुख स्रोत वक्ता और मुख्य अतिथि की हैसियत से कार्यक्रम में आए अम्बेडकर विश्वविद्यालय नई दिल्ली के अपशिष्ट प्रबंधन वैज्ञानिक डॉ. पुलक दास ने प्राध्यापकों, रिसर्च वैज्ञानिकों और छात्र समुदाय को सम्बोधित करते हुए कहा कि अपशिष्ट प्रबंधन के प्रति लापरवाही मानव अस्तित्व के खतरे की घंटी है। जनमत की सोच में बिना परिवर्तन हुए अपशिष्ट प्रबंधन असंभव है। सिर्फ नगरपालिका द्वारा की जाने वाली सफ ाई के भरोसे इस चुनौती से नहीं लड़ा जा सकता है। केंद्रीय विश्वविद्यालय लखनऊ के पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. जीवन सिंह ने भविष्य की कचरा प्रबंधन चुनौतियों से आगाह करते हुए कहा कि अपशिष्ट प्रबंधन सिर्फ सरकार के भरोसे नहीं हो सकता। अपशिष्ट प्रबंधन में हमें उस हद तक जाना पड़ेगा कि घरों से निकलने वाले कचरे की कीमत की बाजार में बोली लगे न कि कचरा हमारे आसपास सड़े। बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भोपाल के वैज्ञानिक डॉ. जितेन्द्र मालवीय ने ऑर्गेनिक अपशिष्ट पदार्थों से कम्पोस्ट खाद बनाने पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया। भौतिकशास्त्र के प्राध्यापक डॉ. यूके जैन ने कहा कि सामाजिक सरोकार के कार्य जागरुकता फैलाते हैं। ठोस कचरे के प्रबंधन से ऊर्जा पैदा करने पर कार्यशाला में गहन विचार किया जाएगा। डॉ. गोपाल जायसवाल ने कहा कि यह सेमिनार सबको अपने निजी जीवन में स्वच्छता रखने के लिए जोर देती है। डॉ. संध्या शर्मा ने कहा कि औद्योगीकरण के साथ कचरे में बेतहाशा वृद्धि हुई है, लेकिन इस कचरे का उचित निष्पादन न करने के कारण यह परेशानी का सबब बन रहा है।
आयोजन की संयोजिका विभाग अध्यक्ष प्राणीशास्त्र डॉ. मीना स्वामी ने अपने कहा कि कार्यशाला में ठोस कचरे के परिवहन, भंडारण एवं प्रसंस्करण की शोधपरख युक्तियों पर चिंतन होगा। मीडिया प्रभारी डॉ. अमरसिंह ने बताया कि कार्यशाला में सम्पूर्ण भारत से पधारे रिसर्च स्कॉलर अगले दो दिन अपने शोध पत्र पढ़ेंगे। कार्यक्रम का संचालन प्रो. साधना जैन और डॉ. गोपीबाला डेहरिया ने किया। कार्यशाल में डॉ. राजेन्द्र कुमार मिश्रा, डॉ. पीएस भाटिया, डॉ. डीडी विश्वकर्मा, डॉ. लक्ष्मीचंद, डॉ. कीर्ति श्रीवास्तव, डॉ. बिन्दु शुक्ला, डॉ. इरफान अहमद,
डॉ. प्रतिभा श्रीवास्तव का विशेष योगदान रहा।

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