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छिंदवाड़ा

कागज में रह गए नियम, मैदानों में उड़ती धूल से बीमारियां

लापरवाही: एनजीटी के आदेश के बाद भी नजर नहीं आ रहा पानी का छिडक़ाव

छिंदवाड़ाFeb 16, 2019 / 12:24 am

prabha shankar

Negligence in crusher mines

Negligence in crusher mines

छिंदवाड़ा. क्रेशर खदानों में पत्थरों को तोडऩे के दौरान उडऩे वाली धूल से आसपास के इलाकों को बचाने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सख्त नियम जरूर बनाए हैं, लेकिन मैदानी स्तर पर इसका पालन नहीं हो पा रहा है। ज्यादातर खदानों में न तो पानी का छिडक़ाव किया जा रहा है और न ही विंड बे्रकिंग वॉल बनाई गई है। इससे दमा-अस्थमा समेत अन्य संक्रामक बीमारियां पनप रहीं हैं। प्रदूषण पर कंट्रोल ही नहीं हो पा रहा है। क्रेशर खदान संचालकों को संचालन अनुमति देते समय स्पष्ट रूप से पर्यावरणीय नियम के पालन के शपथ पत्र लिए जाते हैं। इनकी धूल से श्रमिकों और आसपास के इलाकों में पडऩे वाले प्रभाव को देखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने भी सख्त आदेश जारी किए हैं, जिनमें उन्हें धूल का कंट्रोल हर हाल में करना है। इसके बावजूद रामगढ़ी, खुनाझिरखुर्द, पांढुर्ना, परासिया, जुन्नारदेव, तामिया समेत अन्य अंदरूनी इलाकों में मौजूद क्रेशरों में नियमों की अनदेखी की जा रही है। ज्यादातर क्रेशरों का स्थल निरीक्षण कर लिया जाए तो विंडवॉल, जल छिडक़ाव, प्लांटेशन, तारपोलिंग नहीं मिलेगी।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और खनिज के रेकॉर्ड अलग-अलग
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रेकॉर्ड में 65 क्रेशर खदानें रजिस्टर्ड हैं तो खनिज विभाग के दस्तावेज में 112 क्रेशर खदानें हैं। इनमें से कई बिना लाइसेंस रिनुअल के चल रहीं हंै। पिछले माह परासिया के समीप एक क्रेशर को सील किया गया था। इस पर 15 लाख रुपए का जुर्माना भी प्रस्तावित किया गया। प्रशासन की जांच में ऐसे क्रेशर पकड़े जा सकते हैं। जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

क्रेशर के लिए यह हैं बोर्ड के नियम
1. क्रेशर को तीन ओर से विंड ब्रेकिंग वॉल से घेरना।
2. वाइब्रेटिंग/रोटरी स्कीन को एमएस/जीआइ शीट से कवर्ड करना।
3.जीरो गिट्टी के डस्ट के ट्रांसफार्मर बिंदु पर टेलीस्कोपिक सूट से कवर करना।
4. पत्थर में क्रेसिंग के पूर्व जल छिडक़ाव करना।
5. क्रेशर के चारों ओर पांच मीटर चौड़ी हरित पट्टी का प्लांटेशन करना।
6. फाइन डस्ट को तार पोलिंग से ढंकना।
7. क्रेशर परिसर के अंदर एप्रोच रोड में दिन में चार बार जल छिडक़ाव करना।
8. वर्कर को नोस मास्क प्रदान करना।
9. खदान को फेंसिंग कर घेरना।

उड़ती डस्ट से गिरते हैं वाहन चालक
बैतूल रोड के ग्राम खुनाझिरखुर्द, हिवरा, खैरवाड़ा, नरसला और नारंगी में पांच क्रेशर खदानें हैं। इनमें अंदरूनी तौर पर पर्यावरण नियमों का उल्लंघन हो रहा है तो वहीं सडक़ पर डस्ट उड़ाते डम्पर देखे जा सकते हैं। इसके कारण यहां आए दिन सडक़ दुर्घटनाएं हो रहीं हैं। क्षेत्रीय जनपद सदस्य अरुणा तिलंते का कहना है कि पिछले कुछ साल से लगातार इस मुद्दे को उठाए जाने के बावजूद प्रशासन द्वारा ध्यान नहीं दिया गया है। बैतूल रोड पर दुर्घटनाओं की यही सबसे बड़ी वजह है। डस्ट उडऩे से लोग दमा-अस्थमा समेत सांसों की बीमारी से पीडि़त हो रहे हैं।

इनका कहना है
क्रेशरों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और एनजीटी के नियम पालन के लिए समय-समय पर निर्देश दिए जाते हैं। इसके साथ बोर्ड नियमों के पालन पर ही लाइसेंस दे रहा है। हम खनिज विभाग के साथ संयुक्त निरीक्षण करेंगे।
सुनील श्रीवास्तव, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

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