छिंदवाड़ा

मुख्यमंत्री के जिले में किसानों से छलावा, सर्वे के नाम पर की खानापूर्ति

प्रभावित फसलों का सर्वे ठीक से न होने का आरोप, किसानों का कहना पटवारी करता है हीलाहवाली

छिंदवाड़ाMar 13, 2019 / 11:28 pm

prabha shankar

Negligence in the survey of crops

मुजावर पिपरिया/ छिदंवाड़ा. राजस्व विभाग का मैदानी अमला अपने क्षेत्रों में पूरी तरह से मुस्तैद नहीं दिख रहा है। एक महीने में दो बार प्राकृतिक आपदाओं को झेल चुके और अपनी फसल बर्बाद होते देख रहे कुछ किसान उनके खेतों का सर्वे न होने का आरोप लगा रहे हैं। मुजावर, मोरडोंगरी क्षेत्र के कई
किसानों का कहना है कि इस हल्का क्षेत्र में बड़ी संख्या में किसानों को क्षति पहुंची है, लेकिन क्षेत्र के पटवारी समय पर यहां नहीं पहुंचे न उन्होंने गम्भीरता से सर्वे किया। परिणाम ये है कि कई किसानों का सर्वे सूची में नाम ही नहीं है। मुजावर के आसपास, चारढाना, लोहारढाना, जाएदई, मातकोल, भुडक़ुम में पिछले सप्ताह हुई ओलावृष्टि से नुकसान हुआ है। किसानों का कहना है कि उनकी फसलें पचास प्रतिशत से ज्यादा प्रभावित हुई हैं। यहां गेहूं, चना, लहसुन, बटाना, प्याज, हरी सब्जी पूरी तरह बर्बाद हो गई। किसान गोपीचंद पवार, टेकचंद पवार, रेशम पवार, कृष्णा पवार, महेश पवार, केसरो पवार, टिका राम पवार ने बताया कि इनके खेतों में अभी तक ओलावृष्टि का सर्वे तक नहीं हुआ। जो फसल बची थी वह कटने लगी है। ओलावृष्टि से जो गेहूं झड़ा था वह दोबारा खेत में उग गया है।

पटवारी के दर्शन नहीं होते
हल्का क्षेत्र में रहने वाले किसानों का कहना है कि पटवारी राजकुमार डेहरिया के क्षेत्र में गम्भीरता से ड्यूटी नहीं करते। वे आए और कहां सर्वे कर के चले गए आधे किसानों को तो पता ही नहीं चला। हल्का क्षेत्र में उनके बैठने का कोई स्थान नहीं है। महीने में एक दो बार वे आते हैं। पटवारी को अपने क्षेत्र में निवास करना चाहिए, लेकिन वे छिंदवाड़ा से आना-जाना करते हैं। किसानों ने आरोप लगाया कि पटवारी को किसान ढंूढ़ते रहते हैं। दो दिन पहले एक किसान जानूजी डोंगरे के गेहूं में आग लग गई और पूरा गेहूं जलकर स्वाहा हो गया। पटवारी को इसकी भनक तक नहीं है। किसानों का कहना है कि पटवारी को यहां से हटाने के लिए वे कलेक्टर के पास जाने वाले हैं।

दूसरी टीम ने किया है सर्वे
&उक्त क्षेत्र में सर्वे के लिए अलग-अलग चार टीमें बनीं थीं। मैं उस हल्के का पटवारी हूं लेकिन इस बार मैं बेलखेड़ा में सर्वे कर रहा था। वहां पर तहसीलदार के निर्देश पर दूसरी टीम ने सर्वे किया है। वैसे प्राकृतिक आपदा के 12 घंटे के भीतर ही सर्वे के लिए खेतों में कर्मचारी पहुंच गए थे, अधिकारियों की निगरानी में जो सर्वे हुआ है वह सही है। नुकसान के प्रतिशत के हिसाब से ही मुआवजे के प्रकरण बने हुए हैं।
राजकुमार डेहरिया, पटवारी

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