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News Impact: पत्रिका की खबर पर प्रशासन जागा, अधिकारी ने दिया स्पष्टीकरण

locationछिंदवाड़ाPublished: Jun 09, 2021 12:49:23 pm

Submitted by:

prabha shankar

यह भी कहा-उर्वरक की कोई लिमिट तय नहीं, कीटनाशक से गोभी खराब होने पर विक्रेता का पंजीयन निलम्बित

chhindwara

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छिंदवाड़ा। सोयाबीन बीज की कमी और खाद खरीदने में किसानों को आ रही परेशानी पर पत्रिका में सोमवार को प्रकाशित खबर पर प्रशासन जागा। सोमवार को कलेक्टर ने तुरंत उपसंचालक कृषि जेआर हेडाऊ से पूरे जिले की रिपोर्ट मांगी। इसके बाद उपसंचालक ने विभागीय कार्यवाही से अवगत कराया।
उपसंचालक के प्रतिवेदन के अनुसार किसानों द्वारा सोयाबीन फसल की ओर रुझान बढऩे के कारण सोयाबीन बीज की मांग में अचानक बढ़ोतरी हुई है। गत वर्ष मांग नहीं थी। इस बीज तैयार करने में कम से कम एक वर्ष का समय लगता है। गत वर्ष प्रदेशभर में सोयाबीन की फसल अतिवृष्टि से खराब हुई है। इसके चलते प्रदेशभर में सोयाबीन बीज की कमी निर्मित हुई है। फिर भी विभाग बीज उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत है। विभाग ने यह भी कहा कि उर्वरक की कोई लिमिट तय नहीं की गई है। जाटाछापर में कीटनाशक से गोभी की फसल खराब होने के मामले में विक्रेता का पंजीयन निलंबित किया गया है।

प्रतिवेदन में ये कहा उपसंचालक ने
1. सोयाबीन बीज उत्पादक समितियों के पास 820 क्विंटल और निजी विक्रेताओं के पास 200 विवंटल बीज उपलब्ध है। नेशनल सीडस कार्पोरेशन भोपाल से 2000 क्विंटल सोयाबीन बीज की मांग की गई है, जिसे संस्था द्वारा लगातार उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया गया है ।

2.बीज निगम एवं बीज उत्पादक समितियों की सोयाबीन बीज की दर 7500 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित है। नेशनल सीड्स कार्पोरेशन की दर 9200 रुपए है। निजी क्षेत्र की दर वर्तमान में 8000 से 10000 रुपए है।

3. वर्तमान में जिले में लगभग यूरिया 48000 मीट्रिक टन का भण्डारण हुआ। वितरण के बाद 22 हजार मीट्रिक टन सहकारी एवं निजी क्षेत्र में शेष है। इसके लिए किसी प्रकार के पंजीयन की आवश्यकता नहीं होती है ।

4. मई अंत तक जिले की सहकारी समितियों द्वारा 11558 मी.टन यूरिया का उठाव किया गया है। जिले को यूरिया एवं डीएपी की लगातार रैक प्राप्त हो रही है।

5.कपास उत्पादक कृषकों को उर्वरक वितरण के सम्बंध में लिमिट निर्धारित करने की भ्रम की स्थिति निर्मित है, जबकि कृषि विभाग द्वारा किसी भी प्रकार की लिमिट निर्धारित नहीं की गई हैं ।

6. जाटाछापर के संबंधित कृषक द्वारा उपयोग की गई खरपतवारनाशी दवा से गोभी फसल खराब होने के संबंध में जांच में पाया गया कि दवा का अनुशंसानुसार एवं विधिवत उपयोग नहीं किए जाने से यह स्थिति निर्मित हुई। विक्रय केन्द्र पर कार्यवाही की जाकर उनका पंजीयन निलम्बित किया गया है।
कीटनाशक का नमूना लिया जाकर प्रयोगशाला से जांच कराई जा रही है।

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