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निज शुद्धात्मा ही जिनागम का सार है

locationछिंदवाड़ाPublished: Feb 10, 2019 06:23:59 pm

आदिनाथ जिनालय के रजत जयंती महोत्सव

chhindwara

निज शुद्धात्मा ही जिनागम का सार है

छिंदवाड़ा. आज तक जितने भी भव्य जीव मोक्ष गए हैं और आगे भी जाएंगे वे सब निज शुद्धात्मा को जानकर ही गए हैं और आगे अनंत काल तक जाते रहेंगे। रजत जयंती महोत्सव के साथ जिन शासन का कोई भी उत्सव हो या सम्पूर्ण जिनागम सबका सार एक ही है निज शुद्धात्मा जिसको जाने बिना आयोजन का कोई प्रयोजन नहीं रह जाता। हम भी इस आयोजन के माध्यम से अपने निज शुद्धात्मा को जानें- पहचानें और उसमें लीन होकर भक्त से भगवान बन जाएं यही जिनागम का सार है।
यह बात आदिनाथ जिनालय के रजत जयंती महोत्सव में देवलाली नासिक से आए जैन दर्शनाचार्य पं. अभयकुमार शास्त्री ने अपने मंगल प्रवचनों में कही। दोपहर की सभा में जबलपुर से आए पं. विराग शास्त्री ने मंगलाष्टक पर मंगल प्रवचन किए। उन्होंने कहा कि विविध धार्मिक एवं शुभकार्यों में मंगलाष्टक का विशेष महत्व होता है, जिसमे पंचपरमेष्ठी सहित 63 शलाका के महापुरुषों की महिमा कर वंदना की गई है। ये सब महापुरुष भी अपनी शुद्धात्मा को जानकर ही महान बने हैं और मुक्ति की प्राप्ति की है। महोत्सव के तृतीय दिवस शनिवार को बड़ी संख्या में मुमुक्षु मंडल एवं अखिल भारतीय जैन युवा फेडरेशन के जिन शासन सेवकों ने विविध अनुष्ठानों के साथ मंगलकारी महोत्सव मनाया। तत्वार्थसूत्र विधान के बाद ग्रंथराज समयसार को विराजमान किया गया।

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