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कुपोषित बच्चों की माताओं के लिए नहीं बनी कोई व्यवस्था, जानें पूरा मामला

locationछिंदवाड़ाPublished: Mar 12, 2019 12:10:46 pm

Submitted by:

Dinesh Sahu

बदइंतजामी: शिकायत के बाद भी नहीं आया सुधार, कुपोषितों की माताओं को नहीं मिल रहा पौष्टिक आहार

Medical College Facilities

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छिदंवाड़ा. जिला अस्पताल में संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती बच्चों की माताओं को निर्धारित प्रोटोकॉल के तहत पौष्टिक आहार नहीं दिया जा रहा है। इतना ही नहीं शासन के निर्देशानुसार अब तक एनआरसी वार्ड के पलंगों की ऊंचाई न तो तीन फीट की गई है और नहीं ही स्टाफ नर्स की ड्यूटी लगाई गई है। सबसे अधिक समस्या रात में आती है। पालकों का कहना है कि बच्चों की तबीयत बिगडऩे पर उपचार के लिए इधर से उधर भटकना पड़ता है। ट्रामा यूनिट में इमरजेंसी ड्यूटी कर रहे डॉक्टर भी पीडियाट्रिक डॉक्टर को कॉल करने को कहकर मामले का टाल देते है।

विभागीय कर्मचारी ने बताया कि छह माह से कम आयु वर्ग की धात्री माताओं(दूध पिलाने वाली माताएं) को गायनिक विभाग में भर्ती मरीजों की तरह डाइट दिया जाना है। इसमें पौष्टिक लड्डू, दलिया, फल समेत अन्य आहार प्रोटोकॉल के तहत दिया जाना अनिवार्य है। इसके बावजूद प्रबंधन द्वारा मामले को गम्भीरता से नहीं लिया जा रहा है, जबकि कई बार शिकायत भी की गई है। इधर आरएमओ डॉ. सुशील दुबे ने बताया कि एनआरसी विभाग उनके कार्य क्षेत्र में नहीं आता है। इसलिए वे वहां व्यवस्था नहीं बना पा रहे हंै।

दस साल से नहीं हुई स्टाफ नर्स नियुक्त


पोषण पुनर्वास केंद्र छिंदवाड़ा के प्रभारी डॉ. हितेश रामटेके ने बताया कि पलंग की ऊंचाई कम करने की सूचना सिविल सर्जन को दी जा चुकी है, लेकिन अब तक उन्होंने कोई निर्देश नहीं दिया है। धात्री महिलाओं को प्रोटोकॉल के तहत डाइट नहीं दिए जाने के मामले में जानकारी ली जाएगी तथा व्यवस्था बनाई जाएगी। डॉ. रामटेके ने बताया कि विभाग में पिछले दस साल से स्टाफ नर्स की पोस्ट खाली है। कई बार मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को इसकी सूचना दी गई पर अब तक पद रिक्त है।
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