विभागीय कर्मचारी ने बताया कि छह माह से कम आयु वर्ग की धात्री माताओं(दूध पिलाने वाली माताएं) को गायनिक विभाग में भर्ती मरीजों की तरह डाइट दिया जाना है। इसमें पौष्टिक लड्डू, दलिया, फल समेत अन्य आहार प्रोटोकॉल के तहत दिया जाना अनिवार्य है। इसके बावजूद प्रबंधन द्वारा मामले को गम्भीरता से नहीं लिया जा रहा है, जबकि कई बार शिकायत भी की गई है। इधर आरएमओ डॉ. सुशील दुबे ने बताया कि एनआरसी विभाग उनके कार्य क्षेत्र में नहीं आता है। इसलिए वे वहां व्यवस्था नहीं बना पा रहे हंै।
दस साल से नहीं हुई स्टाफ नर्स नियुक्त
पोषण पुनर्वास केंद्र छिंदवाड़ा के प्रभारी डॉ. हितेश रामटेके ने बताया कि पलंग की ऊंचाई कम करने की सूचना सिविल सर्जन को दी जा चुकी है, लेकिन अब तक उन्होंने कोई निर्देश नहीं दिया है। धात्री महिलाओं को प्रोटोकॉल के तहत डाइट नहीं दिए जाने के मामले में जानकारी ली जाएगी तथा व्यवस्था बनाई जाएगी। डॉ. रामटेके ने बताया कि विभाग में पिछले दस साल से स्टाफ नर्स की पोस्ट खाली है। कई बार मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को इसकी सूचना दी गई पर अब तक पद रिक्त है।