शुक्रवार रात 2.22 बजे तेज रफ्तार निजी एंबुलेंस ट्रामा यूनिट की सीढिय़ों से टकरा गई, जिसके कारण सीढिय़ां क्षतिग्रस्त हो गई। बताया जाता है कि एंबुलेंस चलाने वाला व्यक्ति नशे में था तथा गति तेज होने से वाहन को नियंत्रित नहीं कर सका था। इस संदर्भ में प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. शिखर सुराना ने बताया कि निजी एंबुलेंस चालक के खिलाफ कार्रवाई के लिए पुलिस को पत्र लिखा गया है।
उल्लेखनीय है कि निजी एंबुलेंस संचालकों तथा असामाजिक तत्वों द्वारा भर्ती मरीजों को इलाज नहीं मिलने की बात कहते हुए गुमराह किया जाता है तथा नागपुर या नगर में संचालित प्राइवेट हॉस्पिटलों में जाने के लिए बरगलाया जाता है। इतना ही नहीं मरीजों के परिवहन करने को लेकर अक्सर होड़ मच जाती है। आरोप है कि विभागीय सांठगांठ होने से इन्हें मरीज की मौत से लेकर रैफर होने तक की सूचना मिल जाती है। इस गौरखधंधे में कुछ डॉक्टर भी शामिल हैं, इसलिए इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करता है।
कई चालकों के पास नहीं लाइसेंस
जिला अस्पताल से दर्जनों निजी एंबुलेंस का संचालन होता है। एंबुलेंस होने की वजह से प्रशासन, पुलिस या आरटीओ भी कोई जांच या कार्रवाई नहीं करता है। निजी एंबुलेंस संचालक संगठन के एक पदाधिकारी ने बताया कि कई एंबुलेंस चालकों के पास न तो ड्राइविंग लाइसेंस है, न ही आवश्यक दस्तावेज, इसके बाद भी बेखौफ संचालन किया जाता है। इधर, मरीज तथा उनके परिजन का कहना है कि जब तक कोई हादसा या अपराध होगा तभी प्रशासन की कुम्भकर्णी नींद खुलेंगी।