छिंदवाड़ा

फसल बीमा: न तो सरकार ही गम्भीर न ही किसानों को रहा भरोसा, यह है वजह

नहीं मिल पाता समय पर लाभ, नियमों के पेंच भी बड़ी रुकावट

छिंदवाड़ाAug 02, 2019 / 12:56 am

prabha shankar

Insurance

छिंदवाड़ा. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों का भरोसा उठ रहा है। पिछले तीन वर्ष के आंकड़े उठाकर देखें तो यही पता चलता है। एक तो फसल को लेकर कम्पनियों और सरकारों ने ऐसे पेंच फंसा कर रखे हैं कि उसे समझना बहुत मुश्किल है।
कहीं एक एकड़ वाले किसान पूरा फायदा उठा जाते हैं तो कई मामलों में पांच दस एकड़ के रकबे में बर्बाद हुई फसल का मुआवजा मिल ही नहीं पाता। बीमा का लाभ जल्द मिले तो किसान के काम आए, लेकिन वह सालभर बाद मिलता है। यही कारण है कि किसान अब फसलों का बीमा कराने में रुचि नहीं ले रहे। जो किसान बैंकों से लोन लेते हैं उनका बीमा तो स्वत: ही हो जाता है, लेकिन अऋणी किसान इससे मुंह मोड़ रहे हैं।
पिछले साल 2018 में सहकारी बैंक से लोन लेने वाले 57 हजार किसान और 1640 अऋणी किसानों ने बीमा कराया था। लगभग 30 करोड़ रुपए इसका प्रीमियम बीमा कम्पनी में जमा किया गया था, लेकिन क्लेम मुश्किल से सात से आठ करोड़ रुपए ही किसानों को मिला। इससे पहले 2017 में 61 हजार 649 किसानों ने खरीफ सीजन में बीमा कराया था। क्लेम सिर्फ 10 हजार 57 किसानों को ही मिला।
इस साल किसानों की संख्या और घटती दिखाई दे रही है। मिली जानकारी के अनुसार सहकारी बैंक ने 53 हजार किसानों को ऋण दिया है उसमें से हल्का के तौर पर अधिसूचित फसलों को देखते हुए लगभग 45 हजार किसानों का बीमा किया गया है।
इसमें 24 हजार वे किसान भी हैं, जिनपर दो से तीन वर्षों का ओवरड्यू था जो पिछले साल लोन नहीं ले पाए थे। इन्हें छोड़ दिया जाए तो बैंक के किसानों की संख्या भी कम है।

कम्पनी भी बदल दी… वर्षों से एग्रीकल्चर इन्श्योरेंस कम्पनी के जरिए ही किसानों का बीमा प्रदेश में होता था, लेकिन इस बार प्रदेश सरकार ने पूरे जिलों को चार जोन में बांटकर सात कम्पनियों को बीमा कराने का जिम्मा दे दिया। छिंदवाड़ा में इस बार बीमा कम्पनी को बदला गया।

इस बार तो समय ही नहीं दिया सरकार ने
इस बार प्रदेश सरकार भी बीमा को लेकर ज्यादा गम्भीर दिखाई नहीं दे रही है। प्रीमियम को लेकर नए निर्देश आते-आते जुलाई महीने की 24 तारीख हो गई। इसके बाद नोटिफिकेशन हुआ। इसके बाद सिर्फ तीन दिन बीमा करने को बचे थे। कृषि विभाग के मैदान कर्मचारी, पंचायत के कर्मचारी और बीमा कम्पनी के लोग गांवों में बैठे, लेकिन इस बार लोगों को रुझान नहीं दिखा। मिली जानकारी के अनुसार अऋणी किसानों की संख्या इस बार बेहद कम है। पंचायतों से डाटा आने के बाद सही आंकड़ा मिल सकेगा, लेकिन इस बार संख्या दो हजार के पार नहीं जा रही।

इनका कहना है
सहकारी बैंक के स्तर पर हम किसानों को ज्यादा से ज्यादा इससे जोडऩे की कोशिश करते हैं। इस बार तो हमने दो तीन वर्ष में ओवरड्यू रहे खाताधारकों को भी लोन दिया और बीमा योजना से जोडऩे की कोशिश की है।
केके सोनी, महाप्रबंधक, जिला सहकारी बैंक, छिंदवाड़ा

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