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आदिवासी क्षेत्र में बढ़ रही झोलाछापों की संख्या

locationछिंदवाड़ाPublished: Apr 28, 2019 05:50:37 pm

Submitted by:

sunil lakhera

कम से कम 200 से अधिक झोलाछाप और हकीम सक्रिय

Number of inclinations in the tribal area

आदिवासी क्षेत्र में बढ़ रही झोलाछापों की संख्या

दमुआ . आदिवासी क्षेत्र में इन दिनों झोलाछापों की भरमार सी हो गई है। मानव सेवा जैसे चिकित्सक रूपी पेशे को दागदार करते झोलाछाप और हकीम अपनी कारगुजारी से बाज नहीं आ रहे हैं। यह मरीजों का गलत उपचार कर मौत के मुंह में छोड़ रहे हैं। गौरतलब है कि पाला चौरई से रामपुर तक सडक़ किनारे लगे ग्राम और नगरों में कम से कम 200 से अधिक झोलाछाप और हकीम सक्रिय है। नगरीय क्षेत्र के अलावा सुदूर गांवों में झोलाछापों की अपनी गैंग है मानों इनके पास अलग-अलग गांवों का ठेका हो। एक दूसरे से मिले ये लोग केस बिगड़ता देख इलाज करने से इनकार कर देते है।
झोलाछापों की चिकित्सा विभाग के अफसरों से सांठगाठ है। इसलिए इनकी दुकानदारी पर कभी आंच नहीं आती और कई शिकायतों के बावजूद इन पर कार्रवाई नहीं होती। अभी तक इसी क्षेत्र में कई मौतें इनके अधूरे इलाज से हो चुकी हैं। कई मरीज विकलांगता के शिकार तक हो चुके हैं किन्तु शिकायतों के बावजूद कार्यवाही नाम मात्र की होती है ।
हर मर्ज की एक दवा
फर्जी डिग्री के सहारे गली कूचों में दुकानदारी जमाकर बैठे इन झोलाछापों के पास पूर्णत: ज्ञान का अभाव होने के कारण कई बार हर मर्ज की एक ही दवा होती है, अधूरे ज्ञान के कारण चंद दवाइयों का उपयोग बताकर रकम ऐठ लेना अधिकार समझते है। वहीं जिम्मेदार स्वास्थ्य विभाग भी कभी कभार दिखावे के लिये इन झोला छापों पर कार्रवाई करता है और धरपकड़ कर दबाव बनाता है, परन्तु कई ऐसे अवसर आये कि मामला ले देकर दबा दिया जाता है। अभी तक इस विधानसभा में शायद ही किसी नीम हकीम पर बड़ी कार्रई हुई हो।
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