छिंदवाड़ा/परासिया. पशुधन विकास निगम द्वारा बकरा-बकरियों की नस्ल सुधार के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में जमनापारी बकरों को रियायती दर पर उपलब्ध कराया गया था। पांच मई को पशु चिकित्सालय परासिया में हितग्राहियों को जमनापारी की जगह देशी नस्ल के बकरे देने का आरोप हितग्राहियो ने लगाया था जिसमें धनंजय सिंह ने इसकी शिकायत सीएम हेल्प लाइन सहित उच्च स्तर पर की थी, जांच के बाद जमनापरी बकरा देने की मांग विभाग ने स्वीकार की।
शनिवार को उप संचालक पशु चिकित्सा सेवा विभाग डॉ. जेपी शिव ने परासिया में पांच हितग्राहियो से पूर्व में दिए गए बकरे वापस लेकर जमनापारी नस्ल के बकरे प्रदान किए। हितग्राही जानीसार खान मोरडोंगरी खुर्द, नारायण तिघरा, कन्हैया कोलारे तिगाई, सुनील पवार शीलादेई, धनंजय सिंह परासिया को बकरे दिए गए। धनंजय सिंह ने कहा कि पूरे मामले की जांच होनी चाहिए जिससे प्रदेश स्तर पर किए जा रहे घोटाले का पर्दाफाश हो सके।
यह था मामला
बकरा-बकरियों की नस्ल सुधारने एवं पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए पशु विभाग द्वारा हितग्राहियों को रियायती दर पर जमनापारी बकरा उपलब्ध कराया जाता है। पशु चिकित्सालय परिसर में पशुधन विकास निगम द्वारा 5 मई को परासिया क्षेत्र के हितग्राहियों को आठ बकरे वितरित करने के लिए लाया गया।
अधिकांश हितग्राहियों ने जमनापरी की जगह देशी नस्ल के बकरे होने की बात कहकर मना कर दिया मात्र दो बकरे लिए गए जिनमें से एक हितग्राही धनंजय सिंह ने बताया कि इस घोटाले को सामने लाने के लिए उन्होंने बकरे को लिया था जिससे सच्चाई सामने आ सके बकरा जमनापरी की जगह सरोही नस्ल का बताया गया। पशु पालन से आय बढ़ाने के उद्देश्य से अच्छी नस्ल के बकरे उपलब्ध कराए जाते हैं जमनापरी की कीमत 8 हजार 3 सौ रुपए है जिसमें शासन 6 हजार 640 सबसिडी देती है और हितग्राही से 1 हजार 660 रूपए जमा कराए गए थे । गौरतलब है कि इसके पहले भी पशु विभाग द्वारा प्रदान किए गए उन्नत नस्लो के बकरे, एवं बछड़ों पर सवाल उठते रहे हैं।