छिंदवाड़ा

एक अदद मास्टर प्लान को तरसता शहर

हर शाम सडक़ों पर लगता है जाम,एमएलबी में क्षमता से ज्यादा छात्राएं,सड़ी गली पाइप लाइन में गंध मारता पानी

छिंदवाड़ाApr 22, 2019 / 11:50 am

manohar soni

Monthly Report of Pollution Control Board

छिंदवाड़ा.हर दशक में शहर की सीमाओं में विस्तार के साथ हमारी आबादी बढ़ती चली गई लेकिन शिक्षा,स्वास्थ्य,सडक़ और पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं देने के लिए कोई व्यवस्थित प्लानिंग नहीं बन सकी। नतीजा यह है कि शहर की मुख्य सडक़ व बाजार में हर शाम वाहनों का जाम लगता है तो एमएलबी स्कूल में क्षमता से ज्यादा छात्राएं पढ़ती है। शहर के अधिकांश इलाकों को 50 साल पुरानी सड़ी-गली पाइप लाइन से दुर्गंध मारता पानी मिलता है। जिला अस्पताल में गरीब आदमी को इलाज के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है।
ये ऐसे ज्वलंत मुद्दे हैं जो हर शहरी को खटकते हैं और वे सीधे तौर पर चुनाव में वोट मांगने आनेवाले जनप्रतिनिधियों पर सवाल दागते हैं। आम आदमी की यह भी तकलीफ है कि शहर को व्यवस्थित सुविधाएं देने के लिए एक अदद मास्टर प्लान-2031 को भी मंजूरी नहीं मिल सकी।
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एक सदी से ज्यादा समय में बसा शहर
नगर निगम के मास्टर प्लान-2031 में शहर की विकास यात्रा का वर्ष 1901 से उल्लेख किया गया है, जब शहर की आबादी छोटा बाजार से आसपास सीमित होकर 9726 थी। तब इसकी आवश्यकताएं अत्यंत कम थीं। एक सदी से अधिक समय में छिंदवाड़ा देखते-देखते नगर निगम बन गया। दो राष्ट्रीय राजमार्ग, ब्रॉडगेज लाइन, बेहतर सडक़ें, शैक्षणिक संस्थान और पेयजल जैसी सुविधाएं इस विकास यात्रा की अंग बनीं। फिर भी अभी ट्रांसपोर्ट नगर, कृषि कॉलेज, सम्भागीय मुख्यालय और विश्वविद्यालय की जरूरतें हैं तो सडक़ यातायात, गांवों में पेयजल समेत अन्य समस्याएं मौजूद हंै। वर्ष 2031 तक जब शहरी आबादी करीब चार लाख होगी तो संसाधन बढ़ाने होंगे और समस्याओं के हल खोजने होंगे। दुख इस बात का है कि शहर की इन जरूरतों पर आज तक कभी राजनीतिक व प्रशासनिक स्तर पर चर्चा नहीं होती। बुद्धिजीवी वर्ग चिंता कर रह जाता है।
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इस दशक में सबसे ज्यादा वृद्धि
छिंदवाड़ा शहर में सबसे अधिक बसाहट वर्ष 2001 से 2011 के बीच हुई। जनसंख्या के आंकड़ों में वृद्धि करीब 44.81 प्रतिशत रही। हालांकि नगर निगम गठन में शहरी आबादी में 24 गांवों को शामिल करना भी एक फैक्टर रहा। फिर भी आकलन यह है कि इस दशक में शहरी रोजगार के नए साधन शहर में विकसित हुए। नई कम्पनियां, ऑटोमोबाइल्स एजेंसियां आईं। इससे बाहर के प्रांत यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, तमिलनाड़ु समेत अन्य प्रांत के लोग छिंदवाड़ा में आकर बस गए। इससे जनसंख्या में वृद्धि हुई। यह रफ्तार लगातार बनी हुई है। अगली 2021 में होनेवाली जनगणना के आंकड़ों में वृद्धि दर चौंकाने वाली होगी। कम से कम इसके आधार पर तो प्लानिंग बनानी होगी।

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