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सिर्फ सरकारी सिस्टम के भरोसे स्वच्छता सम्भव नहीं

locationछिंदवाड़ाPublished: May 18, 2018 11:27:08 am

Submitted by:

mantosh singh

टिप्पणी

chhindwara City

सिर्फ सरकारी सिस्टम के भरोसे स्वच्छता सम्भव नहीं

मंतोष कुमार सिंह
स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 में भी नगर पालिक निगम छिंदवाड़ा को निराशा ही हाथ लगी। देश के चार हजार शहरों के बीच हम खुद को साबित नहीं कर पाए। चुनौतियां तो स्वीकारीं, लेकिन ताज से महरूम रह गए। सफाई के लिए दौड़ तो बहुत लगाई गई, पर कमजोर काम और समय प्रबंधन में निगम मार खा गया। पुरजोर कोशिश के बाद भी २० जोनल, २३ राष्ट्रीय सहित ५२ पुरस्कारों में एक भी हाथ नहीं आया। सभी कवायदें धरी की धरी रह गईं। सर्वे टीम के सदस्य निगम के एक भी नवाचार से प्रभावित नहीं हुए।

नगर निगम ने जागरुकता की शुरुआत पेंटिंग से की। जगह-जगह सेनेटरी पैड मशीन लगाई गईं। घर-घर कचरा कलेक्शन शुरू किया गया। स्रोतस्तर पर अलग कर गीले कचरे से खाद बनाई गई। खतरनाक कचरे के लिए अलग बाक्स की व्यवस्था की गई। मुन्नाभाई एमबीबीएस फेम मकसूद भाई ने गांधीजी के गेटअप में फव्वारा चौक में संदेश दिया। सफाई कर्मचारियों द्वारा रैली निकाली गई। गंदगी फैलाने पर चालान काटे गए। सफाई के पोस्टकार्ड बांटे गए। स्वच्छता ऐप डाउनलोड कराए गए। शिकायतें दर्ज हुईं, एक दिन के लिए स्वच्छ सिटी ऐप में छिंदवाड़ा सरताज भी बना, पर विशेष मूल्यांकन श्रेणी में नगर निगम को जगह नहीं मिली।

यह समय मंथन करने का है। आखिर कहां चूक हुई। कौन सी कमियां रह गईं। किन कसौटियों पर हम पिछड़ गए। शहर को साफ-सुथरा रखने के लिए निगम के कर्मचारियों ने तो खूब पसीना बहाया, जनता में जागरुकता भी आई पर जुनून देखने को नहीं मिला। शहर में सामूहिक समर्पण के अनगिनत उदाहरण दिखाई दिए, लेकिन जनप्रतिनिधि न तो सडक़ पर उतरे और न ही कॉलोनियों में आमद दी। सार्वजनिक कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर इतिश्री कर ली। नवचार में भी शहर कुछ खास नहीं कर पाया। पार्कों में खाद तो बनाई गई, लेकिन समय पर बिक्री नहीं की गई। ओडीएफ घोषित निगम क्षेत्र में भी लोग खुले में शौच करते मिले।

सडक़ पर थूकने वालों के खिलाफ कार्रवाई नजर नहीं आई। आवारा पशुओं को शहर से बाहर नहीं किया गया। आला अधिकारी देर रात तक व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के बाहर कचरा तलाशते रहे, लेकिन सर्वेक्षण टीम के जाते ही दशा और दिशा दोनों बदल गई।

प्रतिस्पर्धा अभी खत्म नहीं हुई है। हमें आज से ही २०१९ के लिए कमर कसनी होगी। सफाई को जीवनचर्या का हिस्सा बनना होगा। स्वच्छता को आदत में शामिल करना होगा। स्वच्छता नैतिक कर्तव्य होना चाहिए। आम छिंदवाड़ावासी को निगम के अभियान से जोडऩा होगा। कमियों को दूर करना होगा, नई चुनौतियों को स्वीकार आगे बढऩा होगा। सफलता आज नहीं तो कल जरूर मिलेगी। सिर्फ सरकारी सिस्टम के भरोसे स्वच्छता संभव नहीं है।

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