scriptप्रोफेसर बोले- मुसीबतों से ही चमत्कार पैदा होता, जानें क्यो | Organized workshop on personality development | Patrika News

प्रोफेसर बोले- मुसीबतों से ही चमत्कार पैदा होता, जानें क्यो

locationछिंदवाड़ाPublished: May 14, 2019 11:48:51 pm

Submitted by:

Rajendra Sharma

कॉलेज में व्यक्तित्व विकास, सम्प्रेषण कौशल एवं रोजगार प्राप्ति पर कार्यशाला आयोजित

chhindwara

Organized workshop on personality development

छिंदवाड़ा. शासकीय कॉलेज बिछुआ में स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन विभाग के तत्वावधान में व्यक्तित्व विकास, सम्प्रेषण कौशल एवं रोजगार प्राप्ति विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई। प्राचार्य डॉ. आरपी यादव के मार्गदर्शन में कॉलेज के ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यशाला में बीए अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए चांद कॉलेज के मोटीवेटर डॉ. अमर सिंह ने कहा कि छात्र अपनी अन्तर्निहित संभावनाओं का विकास कर व्यक्तित्व विकास कर सकते हैं। जिज्ञासा की आग, फौलादी इरादे व मजबूत संकल्प से सफलता प्राप्त कर सकते हैं। ऊंचे सपने, पारदर्शी योजना व लक्ष्य प्राप्ति की जुनूनी आग छात्रों को विजय के नजदीक पहुंचाती है।
उन्होंने कहा कि मुसीबतों का सामना करके जीवन में चमत्कार पैदा होता है। छात्रों को अपने जीवन का रिमोट अपने पास रखना चाहिए। जीने के पीछे कोई बड़ी वजह अवश्य होनी चाहिए। समस्याओं को चुनौती मानकर सामना करना चाहिए। छात्रों को असफलता को सीखने की दिशा में पहला कदम मानना चाहिए।
उन्होंने कहा कि प्रयास के फल कभी भी निष्फल नहीं होते हैं। हरदिन एक प्रतिशत सुधार करके एक वर्ष में 365 प्रतिशत सुधार हो जाता है। हमको आसान की बजाय सही मार्ग का चुनाव करके वास्तविकता की ओर जाना चाहिए। संप्रेषण कौशल में विचारों की ऊंचाई मंजिल के मार्ग को प्रशस्त करती है। हम जीवन में वही होते हैं जो हम स्वयं को देते हैं। छात्र अपने सपनों को जीएं न कि भय को। भय हमारी मेधा को नष्ट कर देता है। कामयाबी के लिए अच्छे शत्रुओं का होना भी जरूरी है। जब हमारे वजूद को कोई चुनौती देता है तो उसे स्वीकार कर लेना चाहिए। हमारा सपना क्या है, यह दूसरों को हमारे परिणामों की खनक से पता लगना चाहिए। छात्रों में प्रश्न करने की क्षमता उन्नति का आधार बनाती है। ज्यादा सोचना हमारे इरादों को कमजोर करता है। कर्मों की ऊंचाई बढाकर भाग्योदय किया जाता है। त्याग सफलता की कुंजी है। विचार शासन करते हैं। नजरिए में परिवर्तन करके हम बहुत सी समस्याओं का सरल हल खोज सकते हैं। अगर पक्षी को अपने पंखों पर विश्वास है तो वह आकाश नाप सकता है। एक प्रतिशत बुद्धिमत्ता में 99 प्रतिशत परिश्रम मिलाकर असंभव को संभव किया जा सकता है। छात्र अपने अंदर भरे वैचारिक कूड़े को बाहर निकाले बिना नवीन अच्छे विचारों को समाहित नहीं किया जा सकता है। विशेष वक्ता पीजी कॉलेज छिंदवाड़ा की समाजशास्त्र की विभागाध्यक्ष डॉ. प्रतिभा श्रीवास्तव ने छात्रों को कॅरियर के प्रति प्रेरित करते हुए कहा कि छात्र अपने अंदर छिपे दैवीयता की खोज करें। हम सबकुछ करने के चक्कर में कुछ भी नहीं बन पाते हैं। कार्यशाला की अध्यक्ष डॉ. पूजा तिवारी ने अपने उदबोधन में कहा कि छात्र ज्यादा बातें करने की बजाय ज्यादा काम करके मंजिल की ओर बढ़ सकते हैं। कार्यशाला को कॅरियर मार्गदर्शन प्रभारी प्रो. मनीष कुमार ठाकुर, डॉ. सुरेखा तेलकर, प्रो. संतोष कुमार चंचल, डॉ. नलिनी आरेश्वर, प्रो. महेंद्र नागरे व मुकेश वर्मा ने भी सम्बोधित किया।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो