देश और विदेश से बड़ी संख्या में हर साल पर्यटक पातालकोट पहुंचते हैं और प्रकृतिक स्थलों का भ्रमण करते हैं। कुछ ऐसे स्थान भी है जिनकी जानकारी बाहरी लोगों को नहीं हैं, जिन्हें केवल स्थानीय लोग ही घूमा सकते हैं। पातालकोट के चप्पे-चप्पे को घूमाने के लिए गाइड मिलेंगे, उन्हीं की जुबानी हर एक जगह की विशेषता भी सुनने को मिलेगी। सबकुछ पहले जैसा ही होगा। गांव-गांव ही रहेंगे, मिट्टी से बने मकान भी वैसे ही होंगे, लेकिन अब वे पर्यटकों को लुभाएंगे। यहां घूमने का मजा कुछ समय बाद बदल जाएगा। जैव विविधता को बचाने और पॉलिथिन के उपयोग को रोकने के लिए सख्ती भी अपनाई जाएगी। पातालकोट पहुंचने के बाद हिन्दुस्तान के सौ साल पुराने गांव की यादें ताजा हो जाएगी। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जिला प्रशासन इसी दिशा में काम कर रहा है। स्थानीय लोगों को रोजगार से जोडऩे के लिए गाइड का प्रशिक्षण दिया जा रहा। शासन की मदद से चयनित गांव के करीब दस युवाओं को ऑटो या फिर अन्य छोटे वाहन दिलाए जाएंगे जिससे वे पर्यटकों को सैर करा सके।
डोंगरा गांव से मिलेंगे वाहन और गाइड
पातालकोट के डोंगरा गांव तक पर्यटक अपने निजी वाहन से पहुंच सकेंगे, लेकिन इसके आगे वाहनों को लेकर जाने की अनुमति नहीं होगी। निजी वाहनों के लिए यहां पार्किंग स्थल तैयार होगा। समिति के माध्यम से गाइड उपलब्ध कराया जाएगा और यहां से पर्यटक अपनी मर्जी का वाहन पातालकोट घूमने के लिए किराए पर ले सकेगा। गाइड की फीस जमा करने पर एक रसीद भी पयर्टक को दी जाएगी जिसमें गाइड का नाम और मोबाइल नम्बर भी लिखा होगा। पॉलिथिन लेकर आने की अनुमति नहीं होगी और न ही अंदर पॉलिथिन से निर्मित कोई सामग्री मिलेगी।
स्थानीय लोगों की भागीदारी
प्रत्येक गतिविधि में स्थानीय लोगों की भागीदारी होगी। डोंगरा गांव से ही पर्यटकों को गाइड और वाहन मिलेंगे।
-गजेन्द्र सिंह नागेश, सीइओ, जिला पंचायत, छिंदवाड़ा