अस्पताल छोड़कर जाना चाह रहे मरीज...सता रहा यह भय, जानें वजह
अस्पताल छोड़कर जाना चाह रहे मरीज...सता रहा यह भय, जानें वजह - परिजन डिस्चार्ज करने के लिए बना रहे दबाव

छिंदवाड़ा/ छिंदवाड़ा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस से सम्बद्ध जिला अस्पताल के गायनिक विभाग में कोरोना संक्रमण से मरीज तथा अटेंडरों में दहशत का माहौल है। स्थिति यह है कि तबीयत सामान्य नहीं होने पर भी वे और भर्ती रहना नहीं चालते है तथा डिस्चार्ज करने के लिए लगातार डॉक्टरों पर दबाव बना रहे है। परिजन इसती वजह गायनिक विभाग में लगातार कोरोना संक्रमित मरीजों का सामने आना बता रहे है। साथ ही जज्जा-बच्चा समेत स्वयं को असुरक्षित समझ रहे है।
इतना हीं नहीं आगे का उपचार भी अब वे अब निजी चिकित्सा संस्थाओं में कराने को तैयार है। गायनिक विभाग में ऐसे तीन मामले सामने आए है, जिसमें 19 और 21 अगस्त के बीच हुई सामान्य डिलेवरी के बावजूद मरीजों भर्ती रखा गया है।
इसकी वजह प्रसूताओं में ब्लड की कमी होना बताया जाता है तथा तीनों ही प्रकरण में मरीज को एक से दो यूनिट ब्लड तथा आयरन सुक्रोज भी लगाया गया है। परिजनों का कहना है कि संक्रमण के बीच रहने से अच्छा घर पर पोषण आहार देने से ब्लड बढ़ाना ज्यादा अच्छा है।
यह है मामला -
प्रकरण एक - शिवपुरी फुटारा निवासी मोनिका पति सोनू की डिलेवरी 21 अगस्त को हुई तथा शरीर में 6.8 एचबी ब्लड है। पति का कहना है कि तकलीफ कोई हो नहीं रही, घर पर बेहतर खून बढ़ाने के प्रयास कर सकते है।
प्रकरण दो - परासिया निवासी शाहिदा पति शाहिद खान की डिलेवरी 19 अगस्त को हुई तथा शरीर में 6.5 एचबी ब्लड है। पति का कहना है कि घर पर ज्यादा सुरक्षित और रक्त की पूर्ति के बेहतर प्रयास किए जा सकते है। जरूरत पडऩे पर निजी हॉस्पिटल में दिखा देंगे।
प्रकरण तीन - तामिया के चावलपानी निवासी सुभद्रा पति रामकृष्ण मर्सकोले की डिलेवरी 21 अगस्त को हुई तथा शरीर में 7 एचबी ब्लड है। पति का कहना है कि ब्लड नहीं मिल रहा तथा परिवार के अन्य सदस्य भी छिंदवाड़ा पहुंच नहीं सकते है, जिसके लिए घर जाना चाहते है।
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