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Pench National Park: दिल्ली से हरी झंडी मिलते ही बढ़ेगा पार्क का दायरा

locationछिंदवाड़ाPublished: Nov 25, 2021 10:35:26 am

Submitted by:

prabha shankar

पार्क की सीमा विस्तार के बावजूद नहीं सुधरे हालात, फिर सीमा विस्तार की दरकार

Pench National Park

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प्रभाशंकर गिरी
छिंदवाड़ा। जुलाई 2013 में पेंच नेशनल पार्क की सीमा में विस्तार कर दक्षिण वनमंडल सिवनी का 365.743 वर्ग किमी क्षेत्र और पूर्व वनमंडल छिंदवाड़ा का 104.319 वर्ग किमी क्षेत्र को शामिल कर बफर जोन बनाया गया।
उद्देश्य था वन्य जीवों की सुरक्षा, लेकिन बफर एरिया से लगे राजस्व क्षेत्रों में जनसंख्या, कृषि रकबे में बढ़ोतरी से जंगल सिकुड़ता जा रहा है। ऐसे में वन्यजीव अपनी नियंत्रण रेखा (लाइन ऑफ कंट्रोल) से बाहर आकर फिर रिहायशी इलाकों में चहलकदमी करने लगे हैं। बीते दिनों ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जो इस बात की पुष्टि करते हैं। बाघ व तेंदुए की आमद के बीच जहां कई गांवों में दहशत है वहीं वन्यजीवों की सुरक्षा भी दांव पर है। इससे पेंच का दायरा बढ़ाने की जरूरत महसूस की जा रही है, लेकिन मामला दिल्ली में लम्बित है।
दरअसल, पेंच नेशनल पार्क का दायरा बढ़ाने के लिए बीते कुछ वर्षों से कर्माझिरी गांव को विस्थापित किए जाने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन अब तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका। इस योजना के तहत कर्माझिरी गांव की करीब 450 एकड़ कृषि भूमि के विस्थापन से पेंच के वन्यजीवों के लिए जगह तैयार की जानी है। इसके लिए दक्षिण सामान्य वनमंडल के रुखड़ रेंज के जोगीवाड़ा बीट की करीब 200 हैक्टेयर जमीन पर कर्माझिरी के रहवासियों को बसाने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से स्वीकृति मांगी गई है, लेकिन जमीन आवंटित करने सम्बंधी फाइल दिल्ली में लम्बे समय से अटकी हुई है।

यहां बना रहता है मूवमेंट
17 से 19 नवम्बर 2021 तक चली मांसाहारी वन्यप्राणियों की गणना में जिले के जाखावाड़ी, सारंगबिहरी, सिरकुही, उमरानाला, जैतपुर, आमाकुही, लिंगा के आसपास बाघ की विष्ठा व पगमार्क के प्रमाण मिले। वहीं गौलीदौन में तेंदुआ के निशान मिले। कुछ वर्ष पहले बिछुआ के पुलपुलडोह, सिंगारदीप और दूधगांव में बाघ दिखाई देने पर ग्रामवासियों को रतजगा करना पड़ा था तो वहीं चौरई के साजपानी, जमतरा, गुमतरा में आए दिन वन्यजीवों की दहशत बनी रहती है।

क्या है बफर जोन
नेशनल पार्क में कोर जोन टाइगर रिजर्व का वह क्षेत्र होता है जिसमें बाघ शिकार करता है जबकि बफर जोन इसके आसपास का वह क्षेत्र होता है जहां बाघ जैसे वन्यजीव के लिए भोजन में इस्तेमाल होने वाले जानवर रहते हैं। बफर जोन में कोर क्षेत्र की तुलना में कम पर्यावास संरक्षण की आवश्यकता है ताकि बाघ एवं अन्य प्रजातियों के वन्य प्राणियों के विचरण के लिए क्षेत्र उपलब्ध हो सके।

इनका कहना है
कर्माझिरी ग्राम को विस्थापित करने का प्रयास जारी है। यह मामला अटका नहीं है। भारत सरकार के यहां यह प्रस्ताव प्रक्रियाधीन है। कर्माझिरी के शामिल हो जाने के बाद एक बड़ा ग्रास लैण्ड मिल जाएगा। पेंच टाइगर रिजर्व में अभी इसकी कमी बनी हुई है।
– अशोक कुमार मिश्रा, क्षेत्र संचालक पेंच टाइगर रिजर्व सिवनी

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