इस तरह की पाबंदी के प्रभाव से बुजुर्ग डायबिटीज और डिप्रेशन के रोगी होने लगे है। डॉक्टर इसकी वजह घर से कम बाहर निकलना, मित्र-दोस्तों से कम मिल पाना, संक्रमण की आशंका आदि बताते है। मनोचिकित्सक डॉ. नम्रता बिहारिया की माने तो बुजुर्ग खुली हवा में अपनों के साथ खुलकर रहना चाहते है, ऐसा नहीं हो पाने से उनके तनाव में आ रहे है।
वर्क फ्रॉम से बढ़ी परेशानी –
कोरोना से बचने के लिए कई फील्ड के लोग घरों से ही कार्य कर रहे है। इसमें ऐसे लोग काफी संख्या में शामिल है, जो दूसरे बड़े शहरों से लौटकर अपने घर पर ही संक्रमण के डर से आ गए है। यह लोग कई घंटों तक कम्प्यूटर अथवा मोबाइल पर ही बैठे रहते हैं। इससे इनमें मोटापा के भी लक्षण लोगों में आने लगे है।
50 से अधिक उम्र के लोगों की संख्या –
इस समय सबसे ज्यादा 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को बीमारियों ने घेर रखा है। इस उम्र के लोगों को घर बैठे-बैठे ही डायबिटीज के साथ-साथ डिप्रेशन की परेशानी आने लगती है। ऐसे ही लोगों को अब यह बीमारी फाफी घातक होती जा रही है।
यह है जिले में हायपरटेंशन और डायबिटीज रोगियों की स्थिति –
विकासखंड हायपरटेंशन डायबिटीज
अमरवाड़ा 1171 259
बिछुआ 2287 572
छिंदवाड़ा 2076 909
चौरई 1695 253
हर्रई 1051 136
जुन्नारदेव 1648 320
मोहखेड़ 1820 458
पांढुर्ना 2475 224
सौंसर 3706 349
नोट – स्रोत विभागीय आंकड़ों में दर्ज जिले में कुल मरीजों की संख्या।