कई बार धोखाधड़ी होने के बाद पीडि़त समझ नहीं पाता कि वह इसकी शिकायत कहां और किस स्तर पर करें। साइबर फ्रॉड के मामलों पर नजर डालें तो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आ रहे हैं। औसत साइबर धोखाधड़ी की हर माह पंद्रह शिकायतें दर्ज होती हैं, जिनमें से कुछ मामलों को पुलिस सुलझा लेती है, लेकिन अधिकांश प्रकरण में शिकायत देरी से मिलने या फिर पेचिदा होने के कारण नहीं सुलझ पाते। सबसे खास बात यह है कि आज भी धोखाधड़ी का शिकार होने के बाद पीडि़त शिकायत करने कहां पहुंचे इस असमंजस में रहता है। ग्रामीण क्षेत्र के लोग ठगी का शिकार होने के बाद जिला मुख्यालय के साइबर सेल की दौड़ लगाते हैं या फिर बैंक पहुंचते हैं, बैंक से उन्हें पुलिस थाना पहुंचाया जाता है और फिर साइबर सेल। इस तरह ठगी का शिकार हुआ व्यक्ति जानकारी के अभाव में दफ्तरों के चक्कर काटते हैं। इसी कारण कई बार पीडि़त देरी से पुलिस के पास पहुंचते हैं।
फ्रॉड होने पर तुरंत यह करें
फ्रॉड होने पर तुरंत बैंक की पासबुक, मोबाइल मैसेज, आधार कार्ड एटीएम कार्ड लेकर शिकायत करने जाएं। फ्रॉड या ट्रांजेक्शन का मैसेज और इंटरनेट बैंकिंग का स्क्रीन शॉट लेकर पहुंचे। पचास हजार रुपए से कम का फ्रॉड हो तो तुरंत एसपी कार्यालय के जिला साइबर सेल में शिकायत करें। फ्रॉड होने पर खाता ब्लाक या ट्रांजेक्शन रोकने के लिए हमेशा अपने बैंक के कस्टमर केयर नम्बर का उपयोग करें। फ्रॉड होने पर जितना अधिक समय गंवाएंगे, उतनी ही कम सम्भावना रकम वापसी की होगी।