छिंदवाड़ाPublished: Dec 29, 2022 02:10:05 pm
manohar soni
ग्राम सभाओं ने प्रस्ताव पास कर खुद लिया संग्रहण और विक्रय का जिम्मा
छिंदवाड़ा.आदिवासियों के अधिकारों को संरक्षित करने के लिए लागू पेसा एक्ट में जिले की 100 से अधिक आदिवासी पंचायतों ने तेन्दुपत्ता संग्रहण और विक्रय खुद करने का प्रस्ताव पास किया है। इस पर जनप्रतिनिधियों से लेकर वन विभाग में मंथन शुरू हो गया है। कहा जा रहा है कि तेन्दुपत्ता विक्रय में विभागीय भूमिका हटते ही आदिवासियों को लाखों रुपए का नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसके साथ ही उन्हें हर वर्ष लघु वनोपज संघ की ओर से घोषित होने वाले बोनस से भी वंचित होना पड़ेगा।
प्रदेश सरकार की ओर से लागू इस एक्ट में जिले के जुन्नारदेव, तामिया, बिछुआ और हर्रई विकासखण्ड की 270 ग्राम पंचायतों के 1848 ग्रामों में लागू किया गया है। इनमें से पश्चिम वनमण्डल में जुन्नारदेव, तामिया विकासखण्ड की आठ लघु वनोपज समिति,दक्षिण में बिछुआ तथा पूर्व वनमण्डल में हर्रई विकासखण्ड की 100 से अधिक पंचायतों की ग्राम सभाओं ने लघु तेन्दुपत्ता संग्रहण और विक्रय का प्रबंधन खुद करने का प्रस्ताव पारित कर दिया है। इन प्रस्ताव से इन पंचायतों में तेन्दुपत्ता की तुड़ाई से लेकर ठेकेदार को विक्रय तक के अधिकार ग्राम सभाओं को मिल गए हैं। ऐसे में अब लघु वनोपज समितियों के अधिकार समाप्त हो गए हैं। इस स्थिति में समितियां तेन्दुपत्ता तुड़ाई से लेकर विक्रय तक कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकेंगी। तब इन आदिवासी पंचायतों को कहीं न कहीं विक्रय में मुश्किलें जाएंगी। ऐसी आशंका विभागीय अधिकारी-कर्मचारी व्यक्त कर रहे हैं।
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हर साल 43 हजार मानक बोरा का संग्रहण
वन विभाग का पिछले कुछ वर्ष का आंकड़ा देखा जाए तो तीन वनमण्डलों की 30 लघु वनोपज समितियों से 43 हजार मानक बोरा तेन्दुपत्ता का औसत संग्रहण होता है। इस तेन्दुपत्ता को वन विभाग लघु वनोपज संघ भोपाल के टेंडर अनुसार निर्धारित ठेकेदार को विक्रय कराता है। इस व्यवस्था में ठेकेदार 25 प्रतिशत राशि एडवांस जमा करता है। फिर 75 प्रतिशत राशि तेन्दुपत्ता विक्रय के बाद देता है। इससे विभागीय अधिकारी-कर्मचारी तेन्दुपत्ता संग्राहकों को मजदूरी देते हैं। इसके बाद दूसरे साल बोनस का वितरण करते हैं।
इसके साथ ही उनके बच्चों के लिए छात्रवृत्ति प्रोत्साहन योजना समेत अन्य लाभ दिए जाते हैं।
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पेसा एक्ट में स्वतंत्र सभाओं को कैसे मिलेगी ये सुविधाएं
जनप्रतिनिधियों से लेकर वन विभाग मेें बहस छिड़ी है कि पेसा एक्ट में स्वतंत्र ग्रामसभाओं को तेन्दुपत्ता संग्रहण में तुरंत मजदूरी का भुगतान तथा एक साल बाद बोनस तथा छात्रवृत्ति प्रोत्साहन योजना के लाभ मिल पाएंगे या नहीं। फिलहाल इस पर कोई नियम दिखाई नहीं दिए जाने से असमंजस की स्थिति बन गई है। फिर तेन्दुपत्ता संग्रहण होने के बाद वन विभाग के निर्धारित ठेके दार इन पंचायतों के तेन्दुपत्ता को उचित भाव दे पाएंगे? यह सवाल तो हैं ही। यह आशंका भी है कि स्वतंत्र बिक्री पर कहीं औने-पौने दाम में ये लघु वनोपज न चली जाए। इससे संग्राहकों का लाखों रुपए का नुकसान होगा।
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जनप्रतिनिधियों को दिलाना होगा सरकार का ध्यान
पेसा एक्ट के तहत आदिवासी पंचायतों की ओर से लिए गए तेन्दुपत्ता संग्रहण और प्रबंधन में खुद काम करने की जिम्मेदारी में उभर रही चिंताओं पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों को सरकार का ध्यान आकर्षित करना होगा। इन ग्राम सभाओं के तेन्दुपत्ता संग्रहण से लेकर विक्रय में लघु वनोपज संघ के हस्तक्षेप को जारी रखवाना होगा। ऐसा नहीं होने पर आदिवासियों को लाखों रुपए का नुकसान उठाना होगा।