रविवार को जिला अस्पताल में यही देखने को मिला। बताया जाता है कि बरामदे में मरीज कई दिनों से फर्श पर ही भर्ती रहते हैं। इसके बावजूद उन्हें वार्ड में पलंग उपलब्ध नहीं कराया जाता। जबकि रसूखदार व्यक्ति को आसानी से यह सुविधा मिल जाती है, हालांकि प्रबंधन मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने का दावा करता है, लेकिन स्थिति से जूझ रहे लोग हकीकत बयां कर रहे है।
मौसम का दिख रहा असर
मौसम के बदलाव की वजह से वर्तमान में उल्टी-दस्त तथा डायरिया पीडि़त मरीज बड़ी संख्या में उपचार के लिए पहुंच रहे हैं। उल्लेखनीय है कि मौसमी बीमारियों को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने भी अलर्ट जारी किया था तथा दूषित खाद्य पदार्थ, शुद्ध पेयजल, खुले में रखी खाद्य सामग्री का सेवन नहीं करने सहित अन्य मामले में ध्यान रखने की हिदायत दी गई थी।
केस-1
नगर के श्रीवास्तव कॉलोनी निवासी ओमप्रकाश सरेयाम ने बताया कि वह काफी बीमार हैं, लेकिन उसे उचित उपचार नहीं मिल रहा है। भर्ती के दौरान स्वास्थ्य स्टाफ द्वारा बाहर लेट जाने को बोला गया, लेकिन गद्दा दिया न दरी दी गई। मजबूरी में घर से बिस्तर लाना पड़ा।
केस-2
चौरई विकासखंड के अंतर्गत ग्राम कपुर्दा निवासी बेदीलाल युवनाती ने बताया कि वह दो दिन से बरामदे में फर्श पर बिछी दरी पर लेटा हुआ है। भर्ती के समय उसे पलंग खाली नहीं होना बताया गया तथा खाली होने पर पलंग उपलब्ध कराने की बात कही गई। अब तक किसी ने पूछा तक नहीं।
फैक्ट फाइल जिला अस्पताल में वर्तमान में 400 पलंग की क्षमता है। इसमें से 26 पलंग डीवीडी व संक्रमण वार्ड तथा गायनिक विभाग में 126 की क्षमता है। हालांकि जिला अस्पताल के उन्नयन के बाद पलंगों की क्षमता 600 की जानी है।