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भू-जल स्तर बढ़ाने की बनेगी योजना, चट्टानी जमीन से पानी नीचे उतारने होगी मशक्कत

locationछिंदवाड़ाPublished: Jul 21, 2019 11:56:27 am

Submitted by:

prabha shankar

जरा-सी बारिश से बढ़ा न घटा भूजल स्तर, अब गांवों में भी रिचार्जिंग प्वाइंट पर काम

VIDEO : Wait for monsoon rain in pali rajasthan

Plan to increase ground level

छिंदवाड़ा. जुलाई महीने की जरा सी बारिश ने भू-जल स्तर में कोई खास बढ़ोत्तरी नहीं की है तो बादलों से भरे मौसम के चलते कही कमी भी दिखाई नहीं दी है। इस बार की अनियमित वर्षा को देखते हुए पीएचई विभाग ने रिचार्जिंग पाइंट पर ध्यान देने की तैयारी की है। खासकर चट्टानी जमीन से पानी नीचे उतारने के लिए भू-गर्भीय अध्ययन भी शुरू कर दिया है।
विभागीय जानकारी के अनुसार इस साल गर्मी का मई-जून माह भू-जल की दृष्टि से काफी चुनौती पूर्ण रहा। इस दौरान ग्रामीणों को पेयजल के इंतजाम के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। सूरज की तीखी तपन से जलाशय, बोर, कुएं समेत अन्य जल स्त्रोत में भू-जल स्तर रिकॉर्ड रूप से ३० मीटर से नीचे गिरा। जुलाई में पर्याप्त बारिश की उम्मीद थी, लेकिन अपेक्षाकृत पानी नहीं गिर पाने से भू-जल स्तर में कोई खास सुधार दर्ज नहीं हो पाया। जितना पानी अभी आया, उतना जमीन ने सोख लिया है। इसके चलते भू-जल स्तर में गिरावट दर्ज नहीं की गई है। पीएचई के अधिकारी भरोसा जता रहे हैं कि सितम्बर माह तक अच्छी बारिश से हालात सुधरेंगे। तीन माह बाद जब वे पुन: भू-जल स्तर नापेंगे तो साल भर का पानी मिलेगा। फिलहाल वे भू-जल स्तर सुधारने की योजना पर काम करने में जुटे हैं।

जिले की तहसीलों में अब तक वर्षा
अधीक्षक भू-अभिलेख ने बताया कि एक जून से अभी तक तहसील छिंदवाड़ा में 151.4, मोहखेड़ में 233.4, तामिया में 180, अमरवाड़ा में 160.8, चौरई में 137, हर्रई में 268.3, सौंसर में 118, पांढुर्ना में 125.8, बिछुआ में 178.2, परासिया में 160.7, जुन्नारदेव में 167.6, चांद में 134.5 और उमरेठ में 179.6 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गई है।

भू-जल स्तर सुधारने में पहाड़ी व चट्टानें बाधक
पीएचई के अधिकारी मानते हैं कि जिले में पानी की मांग के अनुरूप जिस हिसाब से भू-जल का दोहन हो रहा है, उसके अनुरूप रिचार्जिंग पाइंट पर अभी तक काम नहीं हो पाया है। बारिश का पानी अधिकांश इलाकों में जमीन के नीचे चट्टान होने से उतर नहीं पाता। इस समस्या का समाधान करने के लिए भू-गर्भीय अध्ययन भी शुरू कर दिया गया है। बरसाती पानी को भूमि में उतारने के लिए हर जगह रिचार्जिंग पाइंट बनाए जाएंगे।

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