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मृत्यु का उत्सव मनाने को कहने वाले ओशो की खुद की मौत बहुत रहस्यमय

locationछिंदवाड़ाPublished: Jan 20, 2020 12:17:44 am

Submitted by:

Rajendra Sharma

सजग स्वसाधना मंडल ने ओशो अमृृत दिवस पर किया पौधरोपण

Planting done on Osho Amrut Day

Planting done on Osho Amrut Day

छिंदवाड़ा/ सर्व जागृृति गण (सजग) परिषद से जुड़े लोगों ने रविवार को ओशो का अमृृत दिवस मनाया और पौधरोपण किया। संस्था के संयोजक कृपाशंकर यादव ने बताया कि 19 जनवरी रविवार को प्रात: आठ से 10 बजे तक सजग कार्यालय इएलसी हॉस्टल में संगोष्ठी आयोजित की गई। इस संगोष्ठी में परमगुरु ओशो के अमृृत दिवस पर उनके जीवन कर्म-मर्म, ध्यान-योग-साधना पर विवेचना की। इस अमृत दिवस को यादगार बनाने के लिए नगर के प्रियदर्शिनी पार्क के सामने वाले पार्क में यादगार स्वरूप मोलश्री के पौधों का रोपण किया गया। सभी प्रकृति प्रेमियों ने नदी व नालों के सदानीरा-सुन्दरी, पुनर्जीवन सहित संरक्षण व संवर्धन के लिए अमृृतम जलम रूप में संकल्प लिए। यादव ने बताया कि ओशो का असली नाम रजनीश चन्द्र मोहन जैन था। बाद में आचार्य रजनीश हो गए, उनके कट्टर चेले ज्यादा भावुक हो गए, तो उन्हें भगवान रजनीश कहने लगे, बाद में भगवान हट गया, रजनीश भी हट गया और नया नाम रखा ओशो। 1931 दिसम्बर 11 को मध्य प्रदेश के कुचवाड़ा गांव में पैदा हुए थे। 19 जनवरी 1990 को ओशो की मौत हो गई। अमेरिका में गिरफ्तार ओशो पर कैसे हुई ओशो की मौत? इसको लेकर बहुत से कन्फ्यूजन हैं और कई थ्योरीज हैं। मृत्यु का उत्सव मनाने को कहने वाले ओशो की खुद की मौत बहुत रहस्यमय रही। पुणे आश्रम के लाओत्से हॉल में उनकी कब्र पर लिखा है- ओशो, जो न पैदा हुए न मरे. इस धरती पर 11 दिसम्बर 1931 से 19 जनवरी 1990 के बीच भ्रमण के लिए आए।
सजग परिषद के अन्तर्गत अपना बुक बैंक ने ओशो अमृृत दिवस पर उनके कर्म-मर्म , ध्यान-योग-साधना के साहित्य को नगर के समीपस्थ क्षेत्र में आमजन, विद्यार्थियों में वितरित किया। नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच एवं परामर्श शिविर भरतादेव रोड चंदननगर में लगाया गया। इसमें डॉ. एबी राव, डॉ. प्रणव भार्गव, सैय्यद हिसार अली एवं फार्माशिष्ट धर्मेन्द्र फरकारे, दिनेश दौडके, लैब टेक्नीशियन दिलीप पंडोल तथा सहयोगी नितिन नागरे, मनोज दौडक़े, भीम पंचेश्वर, राजूरी सातपुते रहे। इन आयोजन में सुखदेव पाठे, चन्द्रकुमार पवार, पिंटु पवार, शिवसरणराम, रविन्द्र कुशवाह, भगत कुशवाह, महेन्द्र यादव, एलआर दौडक़े, डॉ. केएल पाल, जेके चौकीकर, रोशनलाल माहोरे, शिवम यादव आदि की सहभागिता रही।

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