scriptPlastic waste is generated more in urban areas than in villages. | गांवों के मुकाबले शहरी इलाकों में ज्यादा निकलता है प्लास्टिक वेस्ट | Patrika News

गांवों के मुकाबले शहरी इलाकों में ज्यादा निकलता है प्लास्टिक वेस्ट

locationछिंदवाड़ाPublished: Jul 05, 2023 09:52:36 pm

Submitted by:

manohar soni

ग्रामीण थैला लेकर जाते हैं बाजार तो शहरी पॉलीथिन पर निर्भर

गांवों के मुकाबले शहरी इलाकों में ज्यादा निकलता है प्लास्टिक वेस्ट
गांवों के मुकाबले शहरी इलाकों में ज्यादा निकलता है प्लास्टिक वेस्ट

छिंदवाड़ा. प्लास्टिक कचरा उत्सर्जन में हम शहरी ग्रामीणों के मुकाबले आगे हैं। गांवों के लोग साप्ताहिक बाजार के आदी होने से थैला लेकर चलते हैं जबकि शहर में प्रतिदिन दुकानें खुली होने से पॉलीथिन पर निर्भरता ज्यादा है। यह सर्वे नगर निगम के कचरा कलेक्शन वाहनों में संग्रहित कचरा में सामने आया है।
निगम के 48 वार्डो में से 37 शहरी और 11 ग्रामीण इलाकों के वार्ड हैं। इनमें प्रतिदिन 60 टन कचरा एकत्र होता है। प्लास्टिक की भागीदारी 4 टन के आसपास है। इस प्लास्टिक कचरे संग्रहण को देखा जाए तो सबसे ज्यादा इतवारी, बुधवारी, गोलगंज, छोटा बाजार, शनिचरा बाजार, गायत्री मार्केट समेत परासिया व नागपुर रोड के व्यवसायिक स्थलों की दुकानों से निकलता है। शहरी घरेलू मकानों में भी खाद्य व अन्य सामग्री की चीजों के उपभोग अधिक होने से पॉलीथिन और प्लास्टिक वेस्ट अधिक है। इससे हर दिन वार्ड की कचरा संग्रहण गाड़ी ओवरफ्लो हो जाती है।
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शादी और घरेलू समारोह में सिंगल यूज प्लास्टिक अधिक
शादी समारोह हो या फिर जन्मदिन पार्टी या फिर तेरहवीं जैसे सामाजिक कार्यक्रम में सिंगल यूज प्लास्टिक ग्लास, कटोरी, थाली का उपयोग इतना बढ़ गया है कि मेरिज लॉन से लेकर आवासीय परिसरों में प्लास्टिक कचरा नजर आता है। इसके लिए निगम को खासी मशक्कत करनी पड़ती है।
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बड़ी कार्रवाई करने गढ़पाले जैसा नेतृत्व नहीं
निगम के स्वच्छता विभाग के कर्मचारी बताते हैं कि पिछले कमिश्नर इच्छित गढ़पाले के समय सिंगल यूज प्लास्टिक और पॉलीथिन बेचनेवाले दो बड़े व्यवसायियों पर छापामार कार्रवाई की गई थी। तब से किसी भी अधिकारी ने बड़े छापे नहीं लगवाए। कर्मचारियों के अनुसार बड़े छापे में अधिकारी को मैदान में उतरना पड़ता है। नेतागिरी के दबाव का सामना करना पड़ता है। हम कार्रवाई कर दें लेकिन गढ़पाले जैसा दबंग नेतृत्व नहीं मिल पाता।
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गांवों में थैला रखने की परंपरा से कचरा कम
निगम क्षेत्र के ग्राम अजनिया निवासी चौधरी पुष्पेन्द्र सिंह का कहना है कि गांवों में थैला लेकर बाजार जाने की परंपरा रही है। स्वच्छता भी खून में हैं। इससे गांव शहरी वार्ड के मुकाबले ज्यादा साफ सुथरे लगते हैं। शहर में बाइक से ही सब्जी समेत अन्य खाद्य सामग्री लेने की आदत से पॉलीथिन का तेजी से उपयोग बढ़ा है। यहीं प्लास्टिक पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है।
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ूमहत्वपूर्ण तथ्य
नगर निगम क्षेत्र की आबादी-2.76 लाख
निगम में शहरी वार्ड 37, ग्रामीण वार्ड 11
प्रति व्यक्ति कचरा उत्सर्जन-250 ग्राम
औसत कचरा संग्रहण-60 टन प्रतिदिन
प्लास्टिक की हिस्सेदारी-4 टन प्रतिदिन

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