छिंदवाड़ा

PM Housing: सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों को सुविधा, जानिए क्या योजना

जमीन के पट्टा बांटने फिर मेहरबान सरकार, सर्वेक्षण में 350 निकले अपात्र हितग्राही

छिंदवाड़ाMar 24, 2021 / 11:28 am

prabha shankar

Illegal occupation of vacant places in front of PM house

छिंदवाड़ा। प्रधानमंत्री शहरी आवास के लिए सरकारी जमीन पर कब्जा करने वाले हितग्राहियों को पट्टा देने प्रदेश सरकार मेहरबान है, लेकिन छिंदवाड़ा में 350 हितग्राही सर्वेक्षण में अपात्र निकल गए हैं। इससे इन लोगों को पट्टा नहीं मिल पाएगा।
नगरीय प्रशासन विभाग के अनुसार नगरीय क्षेत्र में भूमिहीन व्यक्ति (पट्टाधृति अधिकारों का प्रदान किया जाना) अधिनियम 1984 के अंतर्गत 31 दिसम्बर 2014 की स्थिति में शासकीय भूमि पर निवासरत छूटे हुए हितग्राहियों का पुन: परीक्षण कर पात्र हितग्राहियों को आवासीय भूमि के पट्टे वितरित किए जाने के निर्देश दिए गए थे। वर्तमान में विधानसभा प्रश्नों के संदर्भ में यह तथ्य प्रकाश में आया है कि प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत स्वीकृत ऐसे पात्र हितग्राहियों को सरकारी जमीन पर निवासरत होने पर भी पट्टा प्राप्त नहीं होने के कारण उन्हें योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। यह भी संज्ञान में लाया गया है कि हितग्राही दूसरे मदों की जमीन पर निवासरत होने से भी समस्या है। इस स्थिति में हितग्राहियों को अगले 3 माह में अनिवार्यत: पट्टा वितरण की कार्यवाही की जाए। विभाग के आदेश के अनुसार वर्तमान में जिले के प्रभारी मंत्री की व्यवस्था स्थापित न होने से इस मामले में कलेक्टर से अनुमोदन प्राप्त किया जा सकता है।
इस आदेश के साथ संलग्न प्रपत्र में यह पाया गया है कि छिंदवाड़ा जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 1494 हितग्राहियों के नाम पट्टा वितरण के लिए सामने आए थे। इनमें से पात्र-अपात्र के सर्वेक्षण में 1144 हितग्राही पात्र पाए गए। इन्हें पट्टा उपलब्ध करा दिया गया। शेष 350 हितग्राहियों को अपात्र पाए जाने के चलते सरकारी पट्टा का लाभ नहीं दिया जा सका है।

पट्टा की होड़ में पहाडिय़ों पर कब्जे
सरकार की पट्टा वितरण नीति में उदारता के चलते हर साल अतिक्रमणकारी शहर की आसपास की पहाडिय़ों पर कब्जा करते जा रहे हैं। कुछ साल बाद वे बिजली, पानी, प्रकाश समेत अन्य मूलभूत सुविधाओं के पात्र हो जाते हैं। फिर सरकारी पट्टा नेतागिरी के माध्यम से हासिल करने की होड़ मच जाती है। फिलहाल जामुनझिरी, शक्कर मिल, इमलिया बोहता और कुसमैली की पहाडिय़ों पर अतिक्रमण हो गया है।

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