360 यूनिट तक हो सकता है उत्पादन
सोलर पैनल के एक किलोवाट पर लगभग 120 यूनिट प्रतिमाह, दो किलोवाट पर 240 यूनिट प्रतिमाह एवं तीन किलोवाट पर 360 यूनिट प्रतिमाह बिजली बनेगी। घर में बिजली की खपत कम होने पर, बची हुई बिजली कंपनी के मीटर में दर्ज होगी। यदि दिन में खुद की बिजली कम खर्च हुुई और रात में कंपनी की बिजली खर्च की, तो भी दिन की बिजली की बचत का फायदा एक माह बाद आने वाले बिल में मिलेगा। उल्लेखनीय है कि इस योजना के अंतर्गत सोलर पैनल से सीधे ही घर में बिजली का कनेक्शन हो सकता है। बैटरी में स्टोर करने की जरूरत नहीं है।
मेंटेनेंस पांच साल, लाइफ 25 साल
सोलर पैनल लगवाने के लिए नेशनल पोर्टल अथवा बिजली कंपनी के स्मार्ट बिजली पोर्टल के माध्यम से आवेदन किया जा सकता है। सोलर पैनल लगाने के लिए बिजली कम्पनी की कोई भूमिका नहीं होती। निर्धारित वेंडर से संपर्क कर सोलर पैनल लगवाया जा सकता है। बिजली कंपनी सिर्फ सोलर पैनल के साथ लगने वाले मीटर को उपभोक्ता के घर में लगाती है। वेंडर पांच साल तक सोलर पैनल का मेंटेनेंस करता है। जबकि पैनल की लाइफ 25 साल बताई गई है। सोलर पैनल की लागत प्रति किलोवाट 50 से 60 हजार रुपए तक हो सकती है, जिसका भुगतान सोलर वेंडर को करना पड़ता है। बाद में सरकार सब्सिडी उपभोक्ता के खाते में भेजती है।सोलर पैनल एक अच्छा विकल्प
बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए सोलर पैनल एक अच्छा विकल्प है। उपभोक्ता अपनी छत पर जरूरत के अनुसार एक से तीन किलोवाट तक क्षमता का सोलर पैनल कनेक्शन करवा सकते हैं।– खुशियाल शिववंशी, अधीक्षण अभियंता