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होली के रंग…

locationछिंदवाड़ाPublished: Mar 22, 2019 06:08:16 pm

Submitted by:

Rajendra Sharma

रंगोत्सव पर विशेष कविता

Holi Festival 2019

Holi Festival 2019

मुट्ठी को बंद किए बैठे थे कबसे,
फाल्गुन की आहट से महक उठे सारे,
मुट्ठियों को खोला उंगलियां पसारी,
वृक्षों ने धरती को-फूलों से रंगने की,
कर ली तैयारी।
मस्जिद के पीछे से
चंदा जब उगता है,
होली जलाने को
मेला तब लगता है,
सूरज के उगते फिर
जुम्मन ने राहुल को
लीज़ा ने जस्सी को-
प्यार से रंगने की,
कर ली तैयारी।
अब के इस होली में
खेलेगी बेटी भी,
बेटों की आंखों में
वहशत न उतरेगी,
जितना भी हो नशा
उतने ही होश हो
हमने अब दुनिया को-
सादगी से रंगने की,
कर ली तैयारी।
– शेफाली शर्मा, छिंदवाड़ा

———

होली

यूं तो पांच दिनों का त्योहार है होली
जीवन जीने का आधार है होली
गर मन से मन के संबंध जुड़ जाए
तो हर दिन त्योहार है होली
माना अपनी जेब में कौड़ी नहीं
और आ गया है त्योहार होली
गले मिलो और मिलाओ दिल
परम्परा की सुन्दर सौगात है होली
होली में जो करते अपनी खराब बोली
नादां है हुरियारे और उनकी टोली
भूल जाये हम गिले शिकवे रंगों के रंग में
सब त्योहारों का एक सुंदर हार है होली
क्षणिका

जब मिला नहीं कोई
होली खेलने वाला
तो नजर आया हमें
हमारा दूध वाला
हमने कहा
होली खेलने चलोगे
वह बोला
नेकी और वह भी पूछ-पूछ करोगे ?
अरे ! हम तो कबसे
भाभीजी पर नैनो की पिचकारी से
प्रेम के रंग बरसा रहे है
और एक आप है जो
उन्हें होली खेलने से तरसा रहे है
– विशाल शुक्ल, छिंदवाड़ा

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