छिंदवाड़ाPublished: Aug 11, 2017 06:08:00 pm
arun garhewal
एवरेस्ट पर चढ़ाई का फर्जी दावा करने वाले पुलिस कॉन्स्टेबल दंपती को आखिरकार नौकरी से निकाला दिया गया। इन दोनों ने फर्जी फोटो पेश कर मई 2016 में शिवाजी
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छिंदवाड़ा. नागपुर. एवरेस्ट पर चढ़ाई का फर्जी दावा करने वाले पुलिस कॉन्स्टेबल दंपती को आखिरकार नौकरी से निकाला दिया गया। इन दोनों ने फर्जी फोटो पेश कर मई 2016 में एवरेस्ट की चोटी फतेह करने का दावा किया था।
इन्हें पुणे पुलिस ने सम्मानित भी किया था। इसके बाद इनके खिलाफ जांच का आदेश दिया गया था, जिसमें दोनों का दावा फर्जी निकला तो नवंबर 2016 में उन्हें सस्पेंड किया गया था। पुणे के शिवाजीनगर पुलिस स्टेशन में कार्यरत दिनेश और तारकेश्वरी राठौड़ ने 23 मई 2016 को एवरेस्ट पर चढ़ाई करने का दावा किया था। अपने दावे को पुख्ता करने के लिए दोनों ने नेपाल में 5 जून 2016 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की थी। इस दौरान उन्होंने एवरेस्ट अभियान से जुड़े कई फोटोज और सर्टिफिकेट भी पेश किए थे। इन फोटोज को फर्जी बताते हुए पुणे के एक माउंटेनियरिंग क्लब से जुड़े 8 सदस्यों ने इनके खिलाफ पुलिस कमिश्नर रश्मि शुक्ला से इनकी शिकायत की थी। रश्मि शुक्ला ने इस मामले में दोनों के खिलाफ इंटरनल इन्क्वायरी का आदेश दिया था। इसकी रिपोर्ट आने के बाद नवंबर 2016 में दोनों को सस्पेंड कर दिया गया था। इसके बाद अब सोमवार (7 जुलाई 2017) को दोनों को नौकरी से निकाला गया है।
राठोर दंपति के दावे के खिलाफ पश्चिम बंगाल के पर्वतारोही सत्यरूप सिद्धांत ने आरोप लगाया था कि इस दंपती ने उनकी तस्वीरों को मॉर्फ कर झूठा दावा पेश किया है। इसके बाद राठौड दंपती की फोटोज जांच पुणे साइबर फोरेंसिक लैब द्वारा की गई और इसे फर्जी पाया गया।
जांच में सामने आया है कि इनके द्वारा पेश तस्वीरों में इन दोनों द्वारा पहने गए जूते और कपड़े अलग-अलग रंग और प्रकार के हैं। यह संभव ही नहीं हो सकता। यदि दिनेश का अकेले का चित्र देखे तो उसमें चोटी पर वह लाल और काले रंग की लंबी जैकेट पहने खड़े हैं। वहीं दंपती का जो चित्र है, उनमें दोनों नारंगी रंग की लंबी जैकेट और पीले व काले रंग के जूते पहने हुए हैं। इतनी आसानी से एवरेस्ट के रास्ते में कपड़े चेंज करना संभव नहीं है। जांच कमेटी के मुताबिक जांच के दौरान दोनों को रूटीन कार्य से अलग रखा गया था। दोनों को सबूतों के आधार पर सस्पेंड किया गया था। नेपाल ने 10 साल का प्रतिबंध भी लगाया: नेपाल के टूरिज्म डिपार्टमेंट ने भी इस मामल में जांच करवाई थी और कॉन्स्टेबल दंपती के दावा को गलत पाया था। नेपाल ने दोनों के एवरेस्ट क्लाइम्बिंग करने पर 10 साल का प्रतिबंध लगा दिया था।