प्रकरण की जांच एएसआइ बोधसिंह चंदेल कर रहा था। बोधसिंह ने प्रकरण का चालान पेश करने के लिए पांच हजार रुपए रिश्वत मांगी थी। रिश्वत की मांग करने पर प्रार्थी इंद्र कुमार वर्मा ने पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त जबलपुर को शिकायत की। प्रार्थी के शिकायत आवेदन पर प्रार्थी को रिश्वत मांगने से सम्बंधित वार्ता टेप करके लाने के लिए एक वाइस रिकार्डर दिया गया। तीन सितम्बर 2014 को प्रार्थी ने रिश्वत मांगने से सम्बंधित बातचीत की रिकॉर्डिंग कर सूचना लोकायुक्त निरीक्षक को दी। रिश्वत की मांग सम्बंधित तथ्यों की पुष्टि होने पर लोकायुक्त की टीम ने 4 सितम्बर 2014 को आरोपी एएसआइ बोधसिंह चंदेल को तीन हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया। आरोपी को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ धारा 7, धारा 13 (1) (घ) सहित सहपठित धारा 13(2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 का प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना कार्रवाई की। सम्पूर्ण विवेचना प्रकरण का अभियोग पत्र विशेष न्यायालय (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) छिंदवाड़ा के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
सभी धाराओं में सुनाई गई सजा
विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) छिंदवाड़ा ने प्रकरण में अभियोजन पक्ष एवं बचाव पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य एवं तर्को पर विचार करने के बाद आरोपी एएसआइ बोधसिंह चंदेल को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7, 13 (1) (डी), 13(2) के अपराध में दोषी पाते हुए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 में 3 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 5 हजार रुपए अर्थदंड एवं धारा 13(1)(डी), सहपठित धारा 13(2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में 4 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 5 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया है। जुर्माना अदा न करने की दशा में 6-6 माह का अतिरिक्त कारावास से दण्डित किया जाएगा। आरोपी को न्यायिक अभिरक्षा में जिला जेल छिंदवाड़ा भेजा गया। विचारण फरियादी इंद्रकुमार वर्मा द्वारा न्यायालय में पक्षद्रोही हो जाने पर भी प्रकरण में जिला अभियोजन अधिकारी समीर कुमार पाठक ने शासन की ओर से प्रभावी पैरवी की। अभियोजन द्वारा प्रस्तुत विधिक तर्को एवं सुसंगत साक्ष्यों से सहमत होकर न्यायालय ने आरोपी को सजा सुनाई।