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Politics: छिंदवाड़ा जिले में नहीं प्रभारी मंत्री, जानिए क्यों रुचि नहीं ले रहे शिवराज

locationछिंदवाड़ाPublished: Jan 16, 2021 05:47:49 pm

Submitted by:

prabha shankar

प्रभारी मंत्री न होने से ठंडे बस्ते में पड़ी जिला योजना समिति, एक साल से नहीं हुई समिति की बैठक, महत्वपूर्ण मुद्दों पर निर्णय बंद

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छिंदवाड़ा। जिले में प्रभारी मंत्री न होने से राजनीतिक और प्रशासनिक गतिविधियां सुस्त पड़ी हैं। शिवराज सरकार द्वारा अब तक इस महत्वपूर्ण पद पर किसी की नियुक्ति नहीं की गई है। इसके चलते जिला योजना समिति की बैठक नहीं हो पा रही है वहीं महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा और निर्णय होने बंद हो गए है।
वर्ष 2018 से पहले शिवराज सरकार में केबिनेट मंत्री रहे गौरीशंकर बिसेन सबसे लंबे समय पर प्रभारी मंत्री बने रहे। उसके बाद बनी कांग्रेस सरकार में जिले के नेता कमलनाथ मुखयमंत्री बने तो प्रभारी मंत्री सुखदेव पांसे बनाए गए, लेकिन सीएम की मौजूदगी के चलते 15 माह में इस पद का कोई महत्व नहीं रहा। 20 मार्च 2020 में कांग्रेस सरकार के पतन के बाद शिवराज सिंह पुन: मुखयमंत्री बने तो कोरोना संकटकाल में हरदा से मंत्री बनाए गए कमल पटेल को प्रभारी मंत्री बनाया गया। तब से कागज में अभी भी पटेल प्रभारी मंत्री हैं। उनके दौरे छिंदवाड़ा जिले में कहीं नहीं हो पाए। उन्होंने छिंदवाड़ा जिले में कभी रुचि नहीं ली। सीएम द्वारा दूसरे किसी प्रभारी मंत्री की नियुक्ति नहीं की गई है। जबकि राजनीतिक दृष्टि से छिंदवाड़ा महत्वपूर्ण जिला है।

कावरे के नाम पर छिड़ी बहस: शिवराज मंत्रीमण्डल में महाकौशल से बालाघाट से राज्यमंत्री बतौर रामकिशोर कांवरे शामिल किए गए। तब से ही उनके नाम की चर्चा पर बहस भाजपा से लेकर राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में छिड़ी है। स्थानीय नेता भी कावरे को चाहते हैं। इसके साथ ही गौरीशंकर बिसेन भी लंबे समय से बालाघाट से प्रभारी मंत्री रहे है। इन चर्चाओं के बीच अभी तक सरकार ने इस पर निर्णय नहीं लिया है।

फंड का उपयोग नहीं, बिना दस्तखत के काम
जिला स्तरीय खनिज विकास फंड से विकास कार्यों की स्वीकृति के अधिकार प्रभारी मंत्री के पास है। इस फंड का उपयोग होना भी बंद हो गया है। जिला योजना समिति के हर प्रस्ताव के साथ ट्रांसफर, पोस्टिंग के साथ विभागीय कामकाज में भी प्रभारी मंत्री के हस्ताक्षर होते हैं। अभी ये काम बिना मंत्री की स्वीकृति के चल रहे हैं।

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