राजनीति…मालवा अंचल में नई विकास परियोजनाएं,इधर बजट को तरस रहा छिंदवाड़ा
-राजनीतिक उपेक्षा का दंश अभी भी भुगत रहा जिला, छह माह में एक भी नहीं आया नया प्रोजेक्ट
छिंदवाड़ा.इस समय प्रदेश के मालवा अंचल में नई विकास परियोजनाएं लांच हो रही है तो महाकौशल-सतपुड़ा अंचल का जिला छिंदवाड़ा विकास की बाट जोह रहा है। पिछले चार साल से इस जिले में संचालित प्रोजेक्ट में बजट का अभाव बना हुआ है तो वहीं नए प्रोजेक्ट भी आ नहीं पा रहे हैं। छिंदवाड़ा-पांढुर्ना के रहवासियों ने विकास की चाह में लोकसभा चुनाव में नेतृत्व परिवर्तन भी कर दिया। फिर भी सरकारी उपेक्षा दिखाई दे रही है।
देखा जाए तो पिछले एक माह से मालवा के जिले उज्जैन में मेडिकल कॉलेज, छतरपुर, बुधनी में स्ववित्तीय कॉलेज, कान्ह डायवर्सन क्लोज प्रोजेक्ट, धार में भारत माला परियोजना, नीमच में जावद-नीमच सिंचाई परियोजना में प्रदेश सरकार ने हजारों करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया है। इसके अलावा भी दूसरी परिेयोजनाओं पर भी तेजी से काम हो रहा है। इससे छिंदवाड़ा के ठेकेदार इस इलाके में काम करने पहुंच रहे हैं। इधर, छिंदवाड़ा में सरकारी प्रोजेक्ट में बजट नहीं मिल रहा है। लोग ये सवाल पूछ रहे हैं कि उन्होंने लोकसभा चुनाव और अमरवाड़ा उपचुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा के जनप्रतिनिधियों को विजयी बनाया। फिर भी इस जिले की राजनीतिक उपेक्षा कम नहीं हो पा रही है। जिसके लिए हर व्यक्ति ने अपने वोट का इस्तेमाल किया था। सरकार के जनप्रतिनिधि इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।
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ये प्रोजेक्ट पर ध्यान नहीं दे रही सरकार
1.छिंदवाड़ा संभाग की घोषणा वर्ष 2008 से पूर्व सीएम शिवराज सिंह ने की थी। उसे पूरा नहीं किया गया है। अब जुन्नारदेव और परासिया जिला के प्रोजेक्ट को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।
- 4500 करोड़ रुपए की सिंचाई कॉम्प्लैक्स योजना तेजी से आगे बढ़ नहीं पा रही है। इसकी समीक्षा भी नहीं हो पा रही है। इससे जुन्नारदेव, पांढुर्ना जैसे इलाके पानी से लबालब हो जाएंगे।
- लहगडुआ में गारमेंट पार्क प्रोजेक्ट भी स्वीकृत होने पर भी लटका हुआ है।
- चार साल पहले अतिवृष्टि में पेंच नदी में आई बाढ़ में टूटे चौरई विकासखण्ड के सांख-हलालखुर्द-साजपानी मार्ग के पुल को दोबारा नहीं बनाया जा सका है।
- वर्ष 2018 में हार्टिकल्चर(उद्यानिकी) कॉलेज की घोषणा हुई। जमीन और बजट भी स्वीकृत किया था। डीपीआर भी बनी। भवन का कार्य अब तक शुरु हो नहीं पाया है।
- छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय की स्थापना 2019 में की गई। विश्वविद्यालय के लिए सारना में लगभग 125 एकड़ भूमि एवं 486.45 करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया। इसके बाद से इस प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।
- बेसहारा बालिकाओं के रहने के लिए एक बालिका गृह की स्थापना के लिए अब तक कोई ठोस प्रयास नहीं हो पाए हैं।
8.नवीन जिले पांढुर्ना के अधोसंरचना विकास के लिए स्पेशल बजट का जिक्र नहीं किया गया है।
9.छिंदवाड़ा को स्मार्ट सिटी बनाने, टाउनहाल पुरातात्विक धरोहर, ऑडोटोरियम हाल, भरतादेव को जैव विविधता पार्क निर्माण की अपेक्षाएं भी पूरी नहीं हुई है। - पेंच की विष्णुपुरी माइंस, कन्हान क्षेत्र की तानसी और मोआरी माइंस की वन पर्यावरण की स्वीकृति का मामला लटका हुआ है।
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बंद पड़ी संबल, लैपटॉप समेत अन्य योजनाएं
राज्य सरकार के पिछले कार्यकाल में संबल, स्कूल, कॉलेज, आईटी उद्योग,खेल, कृषि ऋण समेत अन्य योजनाएं लांच की गई थी। पिछले साल 2023 तक इनका लाभ बराबर बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक मिलता रहा। वर्ष 2024 में नेतृत्व परिवर्तन होते ही इन योजनाओं का लाभ मिलना बंद हो गया। बारहवीं पास छात्र-छात्राओं को 75 फीसदी से ज्यादा अंक पर लैपटॉप नहीं मिला है। इससे हितग्राहियों की स्थिति खराब हो गई है।
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बोर्ड परीक्षा पास होने पर भी नहीं मिले लैपटॉप, स्कूटी
स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से भी इस वर्ष बारहवीं पास छात्र-छात्राओं को 75 फीसदी से ज्यादा अंक पर लैपटॉप मिलना था। हर स्कूल के टॉपर बच्चे को स्कूटी देने की योजना शुरू की गई थी। इनमें से किसी का लाभ इस वर्ष नहीं मिल पाया। इसी तरह खेलो इंडिया एमपी, सीएम ऋण समाधान योजना, मेधावी छात्राओं के कॉलेज प्रवेश पर 25 हजार रुपए, टंट्या भील मंदिर के जीर्णोद्धार समेत अन्य योजनाएं भी बंद कर दी गई है।
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इनका कहना है…
नगर निगम के अधीन सडक़, नाली, जेल बगीचा कॉम्प्लेक्स समेत अन्य मांग को पूरा करने 130 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट राज्य सरकार के पास भेजा गया है। इसकी जल्द स्वीकृति की आशा की जा रही है।
-विक्रम अहके, महापौर।
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