तनाव से बढ़ती है नकारात्मकता
सकारात्मक विचार आते ही दिमाग में डोपामिन, गावा, नॉराफिनोफिन, सिरोटिनिन आदि केमिकल की सक्रियता बढ़ जाती है। इनसे व्यक्ति रिलेक्स महसूस करता है। वह बार-बार आनंद की अनुभूति चाहता है। इसका सीधा असर शरीर पर पड़ता है। नकारात्मक सोच के कारण शरीर की जो मसल्स तनाव के दौर से गुजर रही थी, वे सामान्य हो जाती हैं। मनोचिकित्सक डॉ. रितेश शुक्ला ने बताया कि भागमभाग भरी जिंदगी में लोग तनाव में ज्यादा रहते हैं। इससे नकारात्मकता बढ़ती है। सर्वाइकल सिस्टम के लिए थोड़ी बहुत एग्जाइटी जरूरी है। इससे व्यक्ति की कार्यक्षमता बेहतर होती है, लेकिन वर्तमान की भागमभाग के कारण व्यक्ति हर वक्त एंग्जाइटी और तनाव के दौर से गुजरता रहता है। इससे उसमें नकारात्मक विचार पैदा होते हैं। जिस प्रकार एक बीमार न होने वाले व्यक्ति को पूरा स्वस्थ नहीं कहा जाता है उसी प्रकार एक नकारात्मक सोच न रखने वाले व्यक्ति को सकारात्मक सोच वाला नहीं कहा जा सकता है। सकारात्मक सोच रखने वाले लोगों की एक अलग ही पहचान होती है। वे बहुत ही आत्मविश्वास भरे, देखभाल करने वाले, सहनशीलता, प्यार और विनम्र भाव रखने वाले होते हैं। ऐसे लोग हर समय तहेदिल से दूसरे लोगों की मदद करने के लिए तैयार रहते हैं।
सकारात्मक विचार आते ही दिमाग में डोपामिन, गावा, नॉराफिनोफिन, सिरोटिनिन आदि केमिकल की सक्रियता बढ़ जाती है। इनसे व्यक्ति रिलेक्स महसूस करता है। वह बार-बार आनंद की अनुभूति चाहता है। इसका सीधा असर शरीर पर पड़ता है। नकारात्मक सोच के कारण शरीर की जो मसल्स तनाव के दौर से गुजर रही थी, वे सामान्य हो जाती हैं। मनोचिकित्सक डॉ. रितेश शुक्ला ने बताया कि भागमभाग भरी जिंदगी में लोग तनाव में ज्यादा रहते हैं। इससे नकारात्मकता बढ़ती है। सर्वाइकल सिस्टम के लिए थोड़ी बहुत एग्जाइटी जरूरी है। इससे व्यक्ति की कार्यक्षमता बेहतर होती है, लेकिन वर्तमान की भागमभाग के कारण व्यक्ति हर वक्त एंग्जाइटी और तनाव के दौर से गुजरता रहता है। इससे उसमें नकारात्मक विचार पैदा होते हैं। जिस प्रकार एक बीमार न होने वाले व्यक्ति को पूरा स्वस्थ नहीं कहा जाता है उसी प्रकार एक नकारात्मक सोच न रखने वाले व्यक्ति को सकारात्मक सोच वाला नहीं कहा जा सकता है। सकारात्मक सोच रखने वाले लोगों की एक अलग ही पहचान होती है। वे बहुत ही आत्मविश्वास भरे, देखभाल करने वाले, सहनशीलता, प्यार और विनम्र भाव रखने वाले होते हैं। ऐसे लोग हर समय तहेदिल से दूसरे लोगों की मदद करने के लिए तैयार रहते हैं।
ऐसे बढ़ा सकते हैं पॉजीटिव थिंकिंग
-प्रतिदिन योग का अभ्यास करें
-मनपसंद किताब पढ़ें, पनपसंद खेल खेलें
– हर घटना नजरिया बदलकर देखें
– सुबह उठकर कहें कि आज का दिन अच्छा साबित होगा
– ऐसे लोगों के साथ रहने की कोशिश करें जो खुशी बांटते हैं।
-तनाव लगातार बना रहता है तो काउंसलर की सलाह लें।
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-प्रतिदिन योग का अभ्यास करें
-मनपसंद किताब पढ़ें, पनपसंद खेल खेलें
– हर घटना नजरिया बदलकर देखें
– सुबह उठकर कहें कि आज का दिन अच्छा साबित होगा
– ऐसे लोगों के साथ रहने की कोशिश करें जो खुशी बांटते हैं।
-तनाव लगातार बना रहता है तो काउंसलर की सलाह लें।
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तनाव भी बन जाती है ताकत
सकारात्मक सोच के कई फायदे हैं। इससे हमारे शरीर का मेटाबोलिज्म संतुलित हो जाता है। सकारात्मक सोच से मनोविकार उत्पन्न नहीं होंगे। सकारात्मक सोच का सबसे बड़ा फायदा यह है कि तनाव को भी सकारात्मक सोच ऊर्जा में बदलकर ताकत बना लेती है। इससे हर काम हम खुशी-खुशी करते हैं।
डॉ. राजेन्द्र मिश्रा, वरिष्ठ प्राध्यापक
सकारात्मक सोच के कई फायदे हैं। इससे हमारे शरीर का मेटाबोलिज्म संतुलित हो जाता है। सकारात्मक सोच से मनोविकार उत्पन्न नहीं होंगे। सकारात्मक सोच का सबसे बड़ा फायदा यह है कि तनाव को भी सकारात्मक सोच ऊर्जा में बदलकर ताकत बना लेती है। इससे हर काम हम खुशी-खुशी करते हैं।
डॉ. राजेन्द्र मिश्रा, वरिष्ठ प्राध्यापक
सकारात्मक सोच से ही इंसान सफल हो सकता है। जीवन में बड़ी से बड़ी बाधा भी हम सकारात्मक सोच से पार कर जाते हैं। आज की तनाव भरी जिंदगी में यह हमारे लिए दवा के बराबर है। मैं बच्चों से भी यही कहती हूं कि हमेशा सकारात्मक सोच रखिए और आगे बढ़ते जाइए।
डॉ. कामना वर्मा, प्रोफेसर, मनोविज्ञान
डॉ. कामना वर्मा, प्रोफेसर, मनोविज्ञान