छिंदवाड़ा. रक्षाबंधन के दूसरे दिन परम्परागत रूप से मनाए जाने वाला भुजलिया पर्व शुक्रवार को पूरे जिले में मनाया गया। पारस्परिक प्रेम और स्नेह के प्रतीक इस त्योहार को जिला मुख्यालय में वर्षों से मनाया जा रहा है। कौमी एकता के रूप में मनाए जाने वाले उत्सव की शुरुआत बड़ी माता मंदिर से हुई। यहां गाजे-बाजे के साथ भुजलिया का जुलूस निकला। ढोल नगाडों और बैंडबाजे के साथ आल्हा उदल और पृथ्वीराज चौहान की सेनाएं घोड़े पर बैठकर रवाना हुई। यह जुलूस शहर के मुख्य मार्गों से होता हुआ मुख्य आयोजन स्थल बैल बाजार के पास बड़े तालाब के मैदान में पहुंचा। चल समारोह में नृत्य करती लोककला मंडलियों और अखाडों के कलाकारों के प्रदर्शन को देखने लोग उमड़ पड़े। छोटी बाजार, गणेश चौक, दुर्गा चौक, मेन रोड, गोलगंज, राज टाकीज, आजाद चौक से होता हुआ जुलूस भुजलिया मैदान पहुंचा। यहां दोनों सेनाओं के बीच प्रतीकात्मक युद्ध हुआ। बाद में दोनों सेनापतियों ने एक दूसरे को भुजलिया देकर युद्ध समाप्त किया।
सम्मानित किया इस दौरान कलाकारों, नर्तक दलों को सम्मानित भी किया गया। आयोजन में भुजलिया उत्सव समिति से जुड़े पदाधिकारी, जनप्रतिनिधि, अधिकारियों के साथ बड़ी संख्या में सदस्य उपस्थित रहे। आयोजन स्थल पर मेला भी लगा, स्थानीय अवकाश होने के कारण शहर वासियों ने इस मेले का आनंद उठाया।
आज चारफाटक में उत्सव सार्वजनिक भुजलिया उत्सव समिति चार फाटक पर 17 अगस्त को उत्सव मनाएगी। दोपहर दो बजे संतोषी माता मंदिर से जुलूस रेलवे स्टेशन, गांधीगंज, नई आबादी, श्याम टाकीज होते हुए दादाजी मंदिर पहुंचेगा। यहां शाम छह बजे पुरस्कार वितरण और भुजलिया मिलन समारोह होगा। चल समारोह में बुंदेलखंडी ढपला, रमतुला नर्तकदल, अहीरी नृत्य दल आकर्षण का केंद्र रहेंगे।
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