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उत्पादन कम या किसान मालामाल, लक्ष्य से क्यों चूकी सरकार

locationछिंदवाड़ाPublished: May 29, 2019 12:58:48 am

Submitted by:

prabha shankar

इस बार पिछले साल से एक चौथाई गेहूं भी सरकारी गोदामों में नहीं आ पाया

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Closed purchase under support price, target not completed, responsible,Wheat procurement at support price

छिंदवाड़ा. समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी इस बार लक्ष्य के मुताबिक 25 प्रतिशत भी नहीं हो पाई। इस बार लक्ष्य एक लाख 21 हजार मीट्रिक टन था, लेकिन जिलेभर में 115 समितियों के माध्यम से कुल 33 हजार 957 मीट्रिक टन गेहूं ही सरकारी गोदामों में भरा गया। कम उपार्जन के कारण जिले में गेहूं का कम उत्पादन और मंडियों में खुली नीलामी में समर्थन मूल्य से ज्यादा दाम मिलना रहा। पिछले सॉल रिकार्ड एक लाख 31 हजार 694 मीट्रिक टन गेहूं समितियों से खरीदा गया था। इस बार पिछले साल से एक चौथाई गेहूं भी सरकारी गोदामों में नहीं आ पाया। ध्यान रहे इस बार किसानों ने पिछले साल से ज्यादा पंजीयन कराया था, लेकिन समितियों से फोन आने और एसएमएस से संदेश मिलने के बाद भी वे मंडी परिसर पहुंचे और वहां अपना गेहूं बेचा। समर्थन मूल्य पर सरकार ने किसानों को 1840 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से दिए। उसमें 160 रुपए की प्रोत्साहन राशि मिलेगी वो अलग। मंडियों में किसानों को गेहूं की कीमत 2100 रुपए प्रति क्ंिवटल तक मिली। 160 रुपए तो इन्हें भी मिलना है।

इस वर्ष की स्थिति
60219 किसानों ने कराया था पंजीयन
5915 किसान आए समितियों में गेहूं बेचने
01 लाख 20 हजार मीट्रिक टन था लक्ष्य
33957 मीट्रिक टन हुआ इस साल उपार्जन

ऐसे भी केंद्र जहां एक से तीन किसान ही पहुंचे
जिले में सहकारी समितियों के 115 केंद्र खरीदी के लिए बनाए गए थे। इनमें से नौ केंद्र ऐसे रहे जहां कहीं एक तो कहीं दो और कहीं तीन किसान ही गेहूं बेचने पहुंचे। गोपालपुर में दो केंद्र बनाए गए थे। दोनों में एक-एक किसान दो महीने में पहुंचा। एक में 15 क्विंटल तो एक में सिर्फ 10 क्विंटल गेहूं आया। इसके अलावा समसवाड़ा और हिवरखेड़ी में भी एक-एक किसान ही गेहूं बचने पहुंचा। सांवरी, सारना और चन्हियालकलां के साथ समरवाड़ा क्रमांक एक में दो-दो किसान ही पहुंचे। छुई के केंद्र में 472 क्विंटल गेहूं आया वो भी सिर्फ तीन किसानों ने सरकार को बेचा।

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