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Railway indent: रेलवे से खेल रहे बड़े व्यापारी, नियमों की आड़ में लगा रहे चूना

locationछिंदवाड़ाPublished: Oct 13, 2022 10:12:47 am

Submitted by:

prabha shankar

रैक जाम करने के लिए नजदीकी स्टेशनों के बीच लगाए जाते हैं इंडेंट

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छिंदवाड़ा। यदि यह कहा जाए कि मात्र 12 किमी दूरी के लिए रेलवे की रैक बुक की गई है, तो विश्वास नहीं होगा, लेकिन असल में यह हो रहा है। छिंदवाड़ा स्टेशन से लिंगा स्टेशन की दूरी करीब 12 किमी है। इस दूरी तक के लिए छिंदवाड़ा से लिंगा स्टेशन तक 24 रैक बुक किए गए हैं। यह बेहद अजीब होगा कि जिस दूरी तक स्थानीय ट्रकों की सहायता से अपना माल पहुंचाया जा सकता है, वहां तक के लिए रैलवे रैक बुक की गई है, जबकि मंडी से स्टेशन एवं पहुंचने के बाद स्टेशन से गोदाम तक ट्रक ही पहुंचाते हैं।
जानकारी के अनुसार एक अपै्रल से अब तक 182 इंडेंट लगाए गए हैं, जिसमें 41 ही लोड हुए, बचे हुए 141 में 5 गेहूं एवं 136 मक्का के लिए लगाए गए हैं। इनमें भी 24 इंडेंट छिंदवाड़ा से लिंगा तक के लिए लगे हैं, जिसकी दूरी सिर्फ 12 किमी है। यही हाल लिंगा से छिंदवाड़ा स्टेशन का है, अनाज व्यापार से जुड़े व्यापारियों की माने तो लिंगा से छिंदवाड़ा स्टेशन तक डेढ़ दर्जन एवं लिंगा से परासिया तक 20 से अधिक इंडेंट बुक किए गए हैं।

दरअसल रैक को जाम कर अपने लाभ के लिए इस्तेमाल करने के लिए पूरा खेल खेला जा रहा है। जिसमें हर एक इंडेंट लगाने में छिंदवाड़ा स्टेशन से दो लाख रुपए एवं लिंगा, परासिया, जैसे स्टेशनों से 50 हजार रुपए व्यय होते हैं, कई बार अलग-अलग आइडी का प्रयोग करके एक ही व्यापारी कई इंडेंट लगाते हैं। अनावश्यक इंडेंट लगाने का खेल अधिकतर बाहरी व्यापारी करते हैं, जिन्हें एक-दो करोड़ रुपए जाम रहने से भी कोई फर्क नहीं पड़ता। परंतु स्थानीय व्यापारियों का व्यापार प्रभावित हो जाता है, यहां तक कि स्थानीय व्यापारी के पास रैक की व्यवस्था नहीं होने से मंडियों में मक्का की दरों तक में असर पड़ जाता है। रैक जाम करने वाला व्यापारी छिंदवाड़ा से लिंगा तक कम दूरी के इंडेंट लगाकर रैक बुक कर लेता है। सीजन में माल की उपलब्धता होने के बाद वह एक डायवर्सन आवेदन लगाकर लिंगा की जगह अन्य दूसरे तय स्थान भेजने के लिए रेलवे को पत्र लिखता है, जिसे स्वीकार कर लिया जाता है।

व्यापारियों ने दिए ये सुझाव
अनाज व्यापारी संघ अध्यक्ष प्रतीक शुक्ला का कहना है कि रेलवे को प्रति इंडेंट कम से कम 5 लाख रुपए शुल्क कर देना चाहिए। रैक की समय सीमा 10 दिन की जगह एक माह कर देनी चाहिए। छोटी दूरी जैसे छिंदवाड़ा से लिंगा, परासिया से छिंदवाड़ा पर रोक लगानी चाहिए। रेलवे रैक से 10-20 किमी मक्का नहीं भेजना चाहेगा। अधिकांश मामलों में रैक निरस्त कर दी जाती है। जिससे रेलवे को भी कोई फायदा नहीं होता है। हालांकि रैक जाम होने से वास्तविक व्यापार एवं शुद्ध प्रतिस्पर्धा प्रभावित होती है। किसानों को रेट में नुकसान पहुंचता है।

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