तीसरी और चौथी लाइन का हो रहा कार्य
रेलवे द्वारा यात्रियों को दी जाने वाली सुविधाएं कुछ ही क्षेत्रों में सिमट कर रह जा रही है। आज जहां देश के विभिन्न जगहों पर तीसरी और चौथी रेल लाइन के कार्य किए जा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ छिंदवाड़ा इस सुविधा से मरहुम है। छिंदवाड़ा से आमला तक सिंगल रेलमार्ग आने वाले समय में परेशानी का सबब बनेगी। जानकारों की मानें तो रेलवे के पास छिंदवाड़ा के लिए न पहले कोई मास्टर प्लान था और न अब है। भविष्य को लेकर कार्य न होने की वजह से भविष्य में काफी परेशानी होगी। आने वाले समय में छिंदवाड़ा-नागपुर तक ट्रेनों की संख्या में वृद्धि होगी। इन लाइन के चालू होते ही नागपुर, छिंदवाड़ा, परासिया, जुन्नारदेव, आमला रेलमार्ग पर ट्रेनों के परिचालन की संख्या भी बढ़ेगी। लेकिन इनके परिचालन में सिंगल रेलमार्ग परेशानी खड़ी करेगी। वहीं दूसरी तरफ वर्ष २०२२ में जबलपुर तक ट्रेनों का परिचालन शुरु हो जाएगा। दोनों ही रुटों पर अभी सिंगल रेलमार्ग ही बनाया गया है।
रेल परिवहन बढ़ेगा तो होगी मुश्किल
जानकारों की मानें तो छिंदवाड़ा से नागपुर एवं जबलपुर तक रेलमार्ग जुड़ जाने से परिवहन भी बढ़ेगा। यानि मालगाड़ी ट्रेनों की संख्या बढ़ जाएगी। ऐसे में सिंगल रेलमार्ग परेशानी खड़ी करेगी। यात्रियों से भरी ट्रेनों को तो किसी स्टेशन पर क्रासिंग कराकर आगे बढ़ाया जा सकता है, लेकिन मालगाड़ी के लिए लंबा समय लगेगा।
जानकारों की मानें तो छिंदवाड़ा से नागपुर एवं जबलपुर तक रेलमार्ग जुड़ जाने से परिवहन भी बढ़ेगा। यानि मालगाड़ी ट्रेनों की संख्या बढ़ जाएगी। ऐसे में सिंगल रेलमार्ग परेशानी खड़ी करेगी। यात्रियों से भरी ट्रेनों को तो किसी स्टेशन पर क्रासिंग कराकर आगे बढ़ाया जा सकता है, लेकिन मालगाड़ी के लिए लंबा समय लगेगा।
भविष्य को देखते हुए बनाया जाता है मास्टर प्लान
किसी भी क्षेत्र में विकास के लिए नियोजन विभाग द्वारा भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए दस से पन्द्रह साल का मास्टर प्लान बनाया जाता है और फिर इसी के अनुसार कार्य होते हैं।
अभी यहां व्यवस्था भी नहीं हुई दुरूस्त
लिंगा रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर-तीन पर गुड्स यार्ड बनाया गया है। शुरु में प्लेटफॉर्म साढ़े तीन सौ मीटर लंबा था अब गुड्स यार्ड के लिए ७०० मीटर लंबा प्लेटफॉर्म बनाया गया है। हालांकि यह अभी लेबर रूम, मर्चेन्ट रूम, स्टाफ रूम, पक्की सडक़ बनना शेष है। गुड्स यार्ड में लाइट की व्यवस्था के लिए भी हाईमास्क लगाए जाने हैं। रेलवे ने लिंगा स्टेशन पर गुड्स यार्ड की सभी व्यवस्था दुरूस्त नहीं की है। वहीं चौरई में संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।
चौरई में गुड्स यार्ड बना तो होगा फायदा
चौरई रेलवे स्टेशन में गुड्स यार्ड बन जाने से रेलवे को करोड़ों रुपए का फायदा होगा। इसके साथ ही छिंदवाड़ा रेलवे स्टेशन से ट्रैफिक भी कम हो जाएगा। एक समय में छिंदवाड़ा, लिंगा और चौरई तीनों जगह पर मालगाडिय़ों में सामान की लोडिंग और अपलोडिंग हो सकेगी।
चौरई रेलवे स्टेशन में गुड्स यार्ड बन जाने से रेलवे को करोड़ों रुपए का फायदा होगा। इसके साथ ही छिंदवाड़ा रेलवे स्टेशन से ट्रैफिक भी कम हो जाएगा। एक समय में छिंदवाड़ा, लिंगा और चौरई तीनों जगह पर मालगाडिय़ों में सामान की लोडिंग और अपलोडिंग हो सकेगी।
इनका कहना है..
लिंगा रेलवे स्टेशन पर गुड्स यार्ड बन गया है। शेष कार्य पूरे किए जा रहे हैं। चौरई रेलवे स्टेशन पर अभी गुड्स यार्ड बनाने को लेकर सर्वे चल रहा है।
अजित कुमार, कामर्शियल इंस्पेक्टर
इनका कहना है…
छिंदवाड़ा-चौरई रेलमार्ग पर एक मेन एवं एक लुप लाइन बनाया गया है। भविष्य में इस रेलमार्ग पर ट्रेन की संख्या बढ़ेगी तो दिक्कत हो सकती है।
संतोष श्रीवास, रेलवे स्टेशन प्रबंधक, छिंदवाड़ा
छिंदवाड़ा-चौरई रेलमार्ग पर एक मेन एवं एक लुप लाइन बनाया गया है। भविष्य में इस रेलमार्ग पर ट्रेन की संख्या बढ़ेगी तो दिक्कत हो सकती है।
संतोष श्रीवास, रेलवे स्टेशन प्रबंधक, छिंदवाड़ा