रिकॉर्ड देरी से आया मानसून
इस बार तो मानसून की आमद ही रिकॉर्ड देरी से हुई है। यह पहली बार हुआ है जब 28-29 तारीख को मानसून की पहली बौछार जिले में पड़ी। जिले में पिछले एक पखवाड़े से पानी की एक बूंद नहीं गिरी है। जमीन अब सूखे से दरकने लगी है तो लोगों के स्वास्थ्य भी बिगड़ रहे हैं। ध्यान रहे जिले में मानसून 15 से 18 जून तक पूरी तरह सक्रिय हो जाता है। पर्यावरण असंतुलन और स्थानीय स्तर पर भी प्रदूषण और प्रतिकूल बन रही मौसमीय प्रकृति के कारण बारिश का संतुलन गड़बड़ा गया है। ध्यान रहे ंजुलाई का पहला पखवाड़ा बीत चुका है, लेकिन अभी तक बारिश की एक झड़ी तक नहीं लगी है। जुलाई की 17 तारीख तक जिले में सिर्फ 16 मिमी बारिश हुई है जिससे सूखे के हालात बन रहे हैं। पिछले साल जून से जुलाई की आज की तारीख तक 500 मिमी से ज्यादा बारिश हो चुकी थी, जबकि इस बार सिर्फ 140 मिमी पानी ही बरसा है।
स्थानीय क्लाइमेट नहीं करता सपोर्ट
देश के दूसरे क्षेत्रों की अपेक्षा मध्य भारत के कई हिस्सों में स्थानीय क्लाइमेट सपोर्ट नहीं कर रहा है। यही कारण है घने बादलों के बावजूद वर्षा नहीं हो रही है। अगले दो तीन दिनों में हल्की बारिश के आसार नजर आ रहे हैं।
डॉ. वीके पराडकर, वरिष्ठ वैज्ञानिक