छिंदवाड़ा

जुलाई माह भी जून जैसा बीता तो मचेगा हाहाकार, जानिए क्यों…

डेढ़ दशक में पांचवीं बार जून में लडख़ड़ाया मानसून

छिंदवाड़ाJul 18, 2019 / 12:32 am

prabha shankar

mp me barish kab se hogi 2019

छिंदवाड़ा. जिले में बिगड़ रहे मौसम चक्र ने जून के महीने में मानसून की शुरुआत ही बिगाड़ दी है। बीते 15 वर्षों में पांचवां मौका है जब जून में मानसून की शुरुआत लडख़ड़ाती हुई दिखी है। पिछले पांच साल में ही यह दूसरा मौका है। इससे पहले 2014 में भी जून में बारिश बहुत कम हुई थी। किसी समय कतार से खड़े हरे भरे पेड़ों और सडक़ के दोनों ओर लहलहाते खेतों के उजडऩे का असर अब जिले में भी दिख रहा है। मौसम जानकार भी बढ़ते शहरीकरण, कट रहे पेड़ और खत्म हो रहे जंगलों को इसका कारण मान रहे हैं।
जिले में 2004 के बाद बारिश की शुरुआत डगमगाना शुरू हुई। इस वर्ष जून में सिर्फ 83 मिमी बारिश हुई थी जबकि इस महीने में औसत बारिश 120 मिमी से ज्यादा होनी चाहिए। 2006 में तो हालात और बिगड़े और सिर्फ 39 मिमी पानी जून में बरसा। दो वर्ष बाद 2009 में तो सिर्फ 34 मिमी बारिश जून में हुई। इस साल तो जिले को सूखा घोषित करना पड़ा। 2014 में 54 तो इस साल 2019 में सिर्फ 67 मिमी बारिश इस महीने में हुई है।

रिकॉर्ड देरी से आया मानसून
इस बार तो मानसून की आमद ही रिकॉर्ड देरी से हुई है। यह पहली बार हुआ है जब 28-29 तारीख को मानसून की पहली बौछार जिले में पड़ी। जिले में पिछले एक पखवाड़े से पानी की एक बूंद नहीं गिरी है। जमीन अब सूखे से दरकने लगी है तो लोगों के स्वास्थ्य भी बिगड़ रहे हैं। ध्यान रहे जिले में मानसून 15 से 18 जून तक पूरी तरह सक्रिय हो जाता है। पर्यावरण असंतुलन और स्थानीय स्तर पर भी प्रदूषण और प्रतिकूल बन रही मौसमीय प्रकृति के कारण बारिश का संतुलन गड़बड़ा गया है। ध्यान रहे ंजुलाई का पहला पखवाड़ा बीत चुका है, लेकिन अभी तक बारिश की एक झड़ी तक नहीं लगी है। जुलाई की 17 तारीख तक जिले में सिर्फ 16 मिमी बारिश हुई है जिससे सूखे के हालात बन रहे हैं। पिछले साल जून से जुलाई की आज की तारीख तक 500 मिमी से ज्यादा बारिश हो चुकी थी, जबकि इस बार सिर्फ 140 मिमी पानी ही बरसा है।

स्थानीय क्लाइमेट नहीं करता सपोर्ट
देश के दूसरे क्षेत्रों की अपेक्षा मध्य भारत के कई हिस्सों में स्थानीय क्लाइमेट सपोर्ट नहीं कर रहा है। यही कारण है घने बादलों के बावजूद वर्षा नहीं हो रही है। अगले दो तीन दिनों में हल्की बारिश के आसार नजर आ रहे हैं।
डॉ. वीके पराडकर, वरिष्ठ वैज्ञानिक

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