गंदगी
हमारे मन मस्तिष्क में घर की गंदगी साफ करके सडक़ पर फें कने की आदत बनी हुई है। इस आदत पर विराम लगाने के बाद ही हम अपने शहर को पूर्ण रूपेण साफ कर सकते हैं। निगम द्वारा अब तक डेढ़ लाख से अधिक का जुर्माना सिर्फ कचरा फेंकने पर लगाया जा चुका है। पर दिनचर्या में कचरे के उचित प्रबंधन को शामिल किए बगैर कहीं भी गंदगी फेंकने की आदत से नहीं बचा जा सकता है।
जल संरक्षण
हाल ही में जल प्रदाय विभाग द्वारा एक दिन की अंतराल में पानी दिया जा रहा था। पानी की कमी को पूरा करने के लिए जल अपव्यय रोकना आवश्यक है। बारिश की कमी से सभी जल अपव्यय रोकने के लिए सतर्क हो गए थे। लेकिन बारिश होते ही जल संरक्षण की बात भूल गए। जलस्रोत संरक्षित करने के साथ पाइप लाइन से बहते जल को रोकना और वाटर हार्वेस्टिंग को सपोर्ट करना एक आवश्यक कदम होगा।
अतिक्रमण
सार्वजनिक निस्तार की भूमि में नियम विरुद्ध कोई भी निर्माण करना, शहर में लगभग हर किसी की आदत बन चुकी है। पचास प्रतिशत से अधिक फुटपाथों में अस्थायी या अस्थायी दुकानों से पैदल यात्री सडक़ से गुजर रहा है। पहले विनम्र चेहरा बना कर कब्जा करना फिर कुछ समय बीतने के बाद अपना हक जताना अतिक्रमण कारियों की मानसिकता बन चुकी है। एेसी मानसिकता पर विराम ही इसका उचित उपाय है।
माता-पिता के प्रति समझें अपनी जिम्मेदारी
माता-पिता की सेवा से बढक़र कोई पूजा नहीं जिले के दो वृद्धाश्रमों में कुल १७० वृद्ध रहने को मजबूर हैं। जिंदगी के जिस पड़ाव में उन्हें अपनों का सहारा चाहिए था वे ही उन्हें अकेला छोड़ गए। इनमें से कई ने खुद ही अपनी संतानों की प्रताडऩा से तंग आकर घर छोड़ दिया। पीडि़त बुजुर्ग कभी भी अपनी संतानों को कठघरे में खड़ा नहीं करना चाहते। यही वजह है कि कानून में सख्ती होने के बाद भी यह बुराई बढ़ रही है। हमें अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।
बंद हो शिक्षा का व्यवसायीकरण
मनुष्य को अच्छे-बुरे का ज्ञान तथा उच्चस्तरीय सोच-समझ की परख रखने के लिए शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान होता है लेकिन आज कल शिक्षा के बाजारीकरण होने से गुणवत्ता में फर्क आ गया है। जिले मेें साक्षरता दर ७२.२१ है। अर्थात् अभी करीब ३० फीसदी लोग निरक्षर हैं। वहीं वर्तमान में लिंगानुपात भी ९६६ है। अशिक्षा इसकी एक बड़ी वजह है। शिक्षा के महत्व और विकास के लिए हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।
युवाओं के लिए अभिशाप बना नशा
आजकल युवाओं में नशा करने का चलन चरम पर है। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार विभिन्न प्रकार का नशा करने वाले युवाओं की पंजीकृत संख्या ७०० है। हालांकि काउंसलिंग के बाद ४०० ने नशा करना छोड़ दिया है। जबकि कई कैंसर के रोगी हैं। कार्रवाई की गई, अभियान चलाया गया, लेकिन मात्र इससे ही नशे जैसी बुराई पर नियंत्रण लगा पाना मुश्किल है। माता-पिता, दोस्त तथा स्वयं को इसके लिए जागरूक होने की अवश्यकता है।
यातायात
यातायात को सुधारने के लिए पुलिस का इंतजार न करें। स्वयं की जवाबदारी भी समझें। निर्धारित स्थान पर वाहन खड़ा करना हमारी जिम्मेदारी है। नगर निगम को भी चाहिए की वह शहर में सुरक्षित पार्किंग जोन तैयार करें जिससे वाहन चालकों को कम दूरी पर वाहन खड़ा कर बाजार जा सके। इस दशहरे पर नगर निगम और आमजन को मिलकर यातायात की बिगड़ी बुराई को खत्म करने प्रयास करना होगा।
रिश्वत
रिश्वत लेना अपराध है, ठीक उतना ही बड़ा अपराध भी रिश्वत देना है। लेना और देना दोनों ही बंद होगा तब इस बुराई का अंत होगा। सबसे खास बात यह कि लोग रिश्वत मांगने पर देते हैं जबकि उन्हें इसका विरोध करना चाहिए। महज लोकायुक्त की कार्रवाई इस बुराई को खत्म करने के लिए काफी नहीं है। एेसी व्यवस्था बनाई जाए कि आम लोगों के लिए लोकायुक्त अधिकारियों की उपलब्धता सहज हो।
छेड़छाड़
पिछले कुछ वर्षों से महिला और युवतियों से सम्बंधित अपराध में लगातार बढ़ोतरी हो रही। इस पर अंकुश के लिए लोगों में जागरूकता की जरूरत है। इसके सभी पहलुओं को लोगों तक पहुंचाना जरूरी हो चुका है। इसके लिए पुलिस को भी पहल करनी होगी।
सूदखोरी
सूदखोरी को जड़ से खत्म करने के लिए आम जनता को आवाज उठानी होगी। जब एक साथ सभी लोग सूदखोरों के खिलाफ आगे आएंगे और प्रशासन सख्त कार्रवाई करेगा तब सूदखोरी पर लगाम लगेगी। पुलिस को भी इसके लिए सख्त कदम उठाना होगा।