अहंकार के मद में चूर रावण
बाली बध एवं लंका दहन का मंचन
अहंकार के मद में चूर रावण
जुन्नारदेव.नगर की रामलीला के मंचन के दिन रामलीला मंच में श्रीराम सुग्रीव मित्रता का मंचन किया गया। जिसमें श्रीराम और सुग्रीव अग्नि को साक्षी मानकर एक दूसरे के मित्र बन जाते है जिसके बाद श्रीराम अपने मित्र को उसका खोया हुआ राज्य और पत्नी वापस दिलाने के लिए बाली से युद्ध करते है। बाली मरते समय अपने दोषों को स्वीकार करता है और अपने पुत्र अंगद को सुग्रीव और श्रीराम को सौंपते है।
हनुमान जी लंका पहुंचते है जहां पर वे श्रीराम का समाचार माता सीता को सुनाते है। इसके बाद वे अशोक वाटिका में माता सीता से आज्ञा लेकर फल खाने जाते है और बाटिका को वह पूरी तरह उजाड़ देते है जिस पर रावण द्वारा अपने पुत्रों को हनुमान को पकडऩे भेजा जाता है जहां पर वह उनका भी संहार करते है इसके बाद इन्द्रजीत मेघनाथ हनुमान को बंधी बनाकर रावण के समक्ष लाता है जहां पर हनुमान जी द्वारा उन्हें सीता माता को श्रीराम को वापस सौपते हुये उनसे माफी मांगने की सलाह दी जाती है किन्तु अहंकार के मद में चूर रावण हनुमान की बात नहीं मानता है और उनकी पूछ में आग लगा देता है। जहां पर हनुमान जी पूरी लंका को अपनी पूछ से जला देते है और सीता माता से वापस लौटने की आज्ञा लेते है। आगे की कथा में समुद्र पर सेतु बांधना, अंगद का पैर उठाने की कथा का मंचन किया जायेगा।
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