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Reason for inflation: देश के ऐसे स्टॉकिस्ट जिनकी सीमा का कोई अंत नही

locationछिंदवाड़ाPublished: Jul 29, 2021 10:36:10 am

Submitted by:

prabha shankar

दालों में स्टॉक लिमिट, तेलों के भावों की कोई सीमा नहीं, सिर्फ महीनेभर में 3000 रुपए बढ़े सोयाबीन दानों के दाम

chhindwara

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छिंदवाड़ा। दालों के दामों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने व्यापारियों एवं स्टॉकिस्टों द्वारा स्टॉक करने की सीमा तय कर दी, लेकिन डेढ़ वर्ष से लगातार बढ़ रहे तेलों के दाम नियंत्रित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। इसका असर तेलों के साथ-साथ इनसे जुड़ी उपज में भी देखने को मिल रहा है। सूत्रों की मानें तो तेलों के दामों के बढऩे का कारण देश के ऐसे स्टॉकिस्ट हैं जिनकी स्टाक सीमा का कोई अंत नहीं है। व्यापारियों के अनुसार विदेशों में पैदावर कम हुई जिससे सोयाबीन या अन्य तेल का आयात नहीं हो पा रहा है।
मंडी से मिली जानकारी के अनुसार सोयाबीन के दानों के भाव नवम्बर 2020 में जहां चार हजार रुपए प्रति क्विंटल रहे वहीं वर्तमान में 9500 रुपए प्रति क्विंटल से अधिक बिक रहे हैं। सरकार के दालों में लिमिट के नियम के लागू करने के बाद तो तेलों के दामों में और आग सी लग गई। 25 जून को जिस सोयाबीन के मॉडल रेट कुसमेली मंडी में 6600 रुपए प्रति क्विंटल रहे, 27 जुलाई को वह 9580 रुपए पहुंच गया। स्वाभाविक है कि सोयाबीन दानों के दामों का प्रभाव सोयाबीन तेल पर भी पड़ेगा। पिछले छह महीनों में तेलों के दामों में 25 प्रतिशत का इजाफ ा हुआ है।
किराना दुकानदार हेमंत देशमुख ने बताया कि सोयाबीन के तेल के रेट तीन महीने पहले 130 रुपए तक थे, जो इन दिनों 150-155 रुपए प्रति लीटर तक हो चुके हैं।

इनका कहन ा है
तिलहन के दाम बड़े स्टॉकिस्ट एवं विदेशों में पैदावार कम होने से बढ़े हैं। प्रत्येक व्यापारी की स्टॉक की एक क्षमता होती है, वह एक सीमा तक बढऩे के बाद अपनी उपज बेच देता है, लेकिन देश के बड़े-बड़े स्टॉकिस्टों की कोई सीमा नहीं है। सोयाबीन के रेट बढऩे के कारण सप्लाई के अपेक्षा मांग अधिक होना है।
-प्रतीक शुक्ला, अध्यक्ष, छिंदवाड़ा अनाज व्यापारी संघ

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