लॉकडाउन ने और हालात किए खराब
कोरोना से सुरक्षा के चलते हुए लॉकडाउन ने इन कर्मचारियों को भी प्रभावित किया है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि उनकी माली हालत बहुत बिगड़ गई है। कुछ महिलाओं का परिवार उन्हीं पर निर्भर है। लॉकडाउन के चलते दुकाने बंद हैं। परिचित दुकानदार भी नकद सामान देने की बात कह रहा है। ऐसे में कई परिवारों में रोटी का संकट खड़ा हो गया है। आंगनबाड़ी संचालित कर रहीं महिलाओं ने बताया कि इस स्थिति में भी वे बच्चों को पोषण आहार घर तक पहुंचाने का काम कर रहीं हैं। बच्चे, गर्भवती, धात्री महिलाओं का ध्यान रखकर उन्हें वैक्सीनेशन, दवा गोली आदि का ध्यान भी रख रहीं हंै। विभाग से मिले निर्देशों के अनुसार कार्य संचालित कर रहीं हैं।
कोरोना से सुरक्षा के चलते हुए लॉकडाउन ने इन कर्मचारियों को भी प्रभावित किया है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि उनकी माली हालत बहुत बिगड़ गई है। कुछ महिलाओं का परिवार उन्हीं पर निर्भर है। लॉकडाउन के चलते दुकाने बंद हैं। परिचित दुकानदार भी नकद सामान देने की बात कह रहा है। ऐसे में कई परिवारों में रोटी का संकट खड़ा हो गया है। आंगनबाड़ी संचालित कर रहीं महिलाओं ने बताया कि इस स्थिति में भी वे बच्चों को पोषण आहार घर तक पहुंचाने का काम कर रहीं हैं। बच्चे, गर्भवती, धात्री महिलाओं का ध्यान रखकर उन्हें वैक्सीनेशन, दवा गोली आदि का ध्यान भी रख रहीं हंै। विभाग से मिले निर्देशों के अनुसार कार्य संचालित कर रहीं हैं।
इनका कहना है
कार्यकर्ताओं की मांग जायज है। शनिवार को देर रात तक हमारा कार्यालय खुला रहा और हम लगातार भोपाल से सम्पर्क कर बजट के लिए मशक्कत करते रहे। जिले में दस परियोजनाओं के लिए सरकार ने बजट आवंटित किया है। कार्यकर्ताओं के खाते में यह राशि ऑनलाइन जमा कराई जा रही है। बाकी चार परियोजनाओं के लिए सोमवार को फिर भोपाल के अधिकारियों से चर्चा की जाएगी। दरअसल, पूरे प्रदेश में यही स्थिति है। हम गम्भीरता से मानदेय दिलाने की कोशिश में हैं।
कल्पना तिवारी, डीपीओ, महिला बाल विकास विभाग
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जिले में छह हजार कार्यकर्ता, सहायिकाएं राशि के लिए जूझ रहीं हैं। जल्द मानदेय नहीं मिला तो हालात और बिगड़ जाएंगे। विपरीत परिस्थितियों में भी हमारी कार्यकर्ता मुस्तैद हैं। फील्ड में कोरोना के खतरे के बीच काम रहीं हैं। सरकार और विभाग को हमारी स्थिति के बारे में पता है। विभागीय अधिकारियों से बात करो तो वे भोपाल का मामला बताकर टरका देते हैं। सरकार को चाहिए कि दूसरों की तरह हमें भी दो से तीन महीने का मानदेय अग्रिम दिया जाए।
संगीता नांदेकर, संयोजक, बुलंद आवाज नारी शक्ति कार्यकर्ता, सहायिक संगठन
कार्यकर्ताओं की मांग जायज है। शनिवार को देर रात तक हमारा कार्यालय खुला रहा और हम लगातार भोपाल से सम्पर्क कर बजट के लिए मशक्कत करते रहे। जिले में दस परियोजनाओं के लिए सरकार ने बजट आवंटित किया है। कार्यकर्ताओं के खाते में यह राशि ऑनलाइन जमा कराई जा रही है। बाकी चार परियोजनाओं के लिए सोमवार को फिर भोपाल के अधिकारियों से चर्चा की जाएगी। दरअसल, पूरे प्रदेश में यही स्थिति है। हम गम्भीरता से मानदेय दिलाने की कोशिश में हैं।
कल्पना तिवारी, डीपीओ, महिला बाल विकास विभाग
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जिले में छह हजार कार्यकर्ता, सहायिकाएं राशि के लिए जूझ रहीं हैं। जल्द मानदेय नहीं मिला तो हालात और बिगड़ जाएंगे। विपरीत परिस्थितियों में भी हमारी कार्यकर्ता मुस्तैद हैं। फील्ड में कोरोना के खतरे के बीच काम रहीं हैं। सरकार और विभाग को हमारी स्थिति के बारे में पता है। विभागीय अधिकारियों से बात करो तो वे भोपाल का मामला बताकर टरका देते हैं। सरकार को चाहिए कि दूसरों की तरह हमें भी दो से तीन महीने का मानदेय अग्रिम दिया जाए।
संगीता नांदेकर, संयोजक, बुलंद आवाज नारी शक्ति कार्यकर्ता, सहायिक संगठन