जुन्नारदेव विकासखंड के पहाड़ी क्षेत्र और बिछुआ विकासखंड के मैदानी भाग में यह जनजाति निवास करती है। मवासी जनजाति अपने बीच की जो बोली बोलते हैं, उनमें से कुछ शब्द तो हिंदी में मिलते हैं, लेकिन कई शब्दों के अर्थ समझना आसान नहीं है। मसलन बिजली को लेन, जंगल को डेधा, रात शब्द उनके लिए अंधेरा और रात्रि रात है। धोनी का आशय धुआं, मामा का मतलब फूफा से है। ओया माता तो ओवा पिता को कहते हैं, ऐसे हजारों शब्द हैं, जिन्हें समझने के लिए एक बड़े शब्दकोश की जरूरत पड़ती है। मवासी भाषा पर जिले के उच्च श्रेणी शिक्षक दिनेश भट्ट (govt teacher dinesh bhatt) ने कार्य किया है।
राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त दिनेश भट्ट वर्तमान में शासकीय जवाहर कन्या हाईस्कूल छिंदवाड़ा के शिक्षक हैं। उन्होंने भाषा रिसर्च एवं पब्लिकेशन सेंटर बड़ौदा में प्रायोजित भारतीय भाषा लोक, सर्वेक्षण मध्यप्रदेश की भाषाएं अंतर्गत छिंदवाड़ा जिले में मवासी भाषा का सर्वेक्षण कार्य किया है।
उन्होंने मवासी भाषा के 1500 शब्दों का शब्दकोष तैयार किया। इसके साथ ही उन्होंने कुछ मवासी लोकगीतों एवं लोक कथाओं का अनुवाद संकलित किया। यह आलेख भाषा रिसर्च एवं पब्लिकेशन सेंटर बड़ौदा से प्रकाशित एवं ओरियंट ब्लैक स्वान प्राइवेट लिमिटेड हैदराबाद द्वारा मुद्रित ग्रंथ मध्यप्रदेश की भाषाएं में प्रकाशित है।
इस ग्रंथ में मध्यप्रदेश की 25 भाषाओं का सर्वेक्षण प्रकाशित है। इसका अंग्रेजी संस्करण भी प्रकाशित हुआ है, जिसे देश-विदेश के विभिन्न पुस्तकालयों तथा अकादमियों में भेजा गया है। इस ग्रंथ के सम्पादक पद्मश्री शिक्षाविद् गणेश एन देवी हैं। दिनेश भट्ट बताते हैं कि मवासी मध्यप्रदेश की अनुसूचित जनजाति की सूची क्रमांक 32 पर उल्लेखित एक जनजातीय समाज है।
1981 की जनगणना के अनुसार मध्य प्रदेश में मवासी जनजातीय की कुल जनसंख्या 11013 थी। इनमें से 8882 तो छिंदवाड़ा जिले में निवासरत थी। 2011 की जनगणना में भी 81212 कुल जनसंख्या में से 80 फीसद जनसंख्या छिंदवाड़ा में ही थी।