जलाशय बढ़ते गए,इंजीनियर घटते गए
छिंदवाड़ाPublished: Nov 02, 2021 05:25:45 pm
जल संसाधन विभाग पांढुर्ना में इंजीनियर कम होते जा रहे हैं। आज की स्थिति में क्षेत्र के 24 जलाशयों पर मात्र तीन इंजीनियर है। इस साल रबी सीजन में किसानों को सिंचाई की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। दूसरी ओर शासन द्वारा जलाशयों के रखरखाव के लिए दिए जाने वाले बजट में भारी कटौती की गई है। वहीं किसानों पर सिंचाई की काफी रकम बकाया है। नहर सफाई के लिए दी जानी वाली 160 रुपए प्रति हेक्टेयर राशि को आधा कर दिया हैं। अब ये 80 रुपए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से दी जा रही है।


Reservoirs increased, engineers decreased
छिन्दवाड़ा/ पांढुर्ना. सब डिवीजन के रूप में संचालित जल संसाधन विभाग पांढुर्ना में 14 जलाशयों के लिए सात इंजीनियर पदस्थ थे। एक इंजीनियर पर दो जलाशयों की जिम्मेदारी थी। जिससे रबी सीजन में फ सल सिंचाई के लिए किसानों को समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है। बीते पांच सालों में सेवानिवृत्ति की वजह से जल संसाधन विभाग में इंजीनियर कम होते जा रहे हैं। आज की स्थिति में क्षेत्र के 24 जलाशयों पर मात्र तीन इंजीनियर है। इस साल रबी सीजन में किसानों को सिंचाई की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। दूसरी ओर शासन द्वारा जलाशयों के रखरखाव के लिए दिए जाने वाले बजट में भारी कटौती की गई है। वहीं किसानों पर सिंचाई की काफी रकम बकाया है। इससे जलाशयों के रखरखाव में अधिकारियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जो किसान बराबर बिल अदा करते हैं। उन्हें भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। शासन ने नहर सफाई के लिए दी जानी वाली 160 रुपए प्रति हेक्टेयर राशि को आधा कर दिया हैं। अब ये 80 रुपए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से दी जा रही है। इससे नहरों की सफाई करने में विभाग के पसीने छूट रहे है।दूसरी ओर रखरखाव के लिए ग्रामीणों का पहले की तरह साथ भी नहीं मिल रहा है। इसकी मुख्य वजह पिछले दो वर्षों से जल उपभोक्ता समिति का निर्वाचन नहीं होना है। समिति के माध्यम से साफ सफाई और रखरखाव जैसे कार्य हो जाते थे। अगले साल जून में इंजीनियर अरविंद वसूले सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इसके बाद दो इंजीनियर रह जाएंगे। इस संदर्भ में अब तक कार्यवाही नहीं होने से किसानों को परेशान होना पड़ रहा है। वर्तमान में अरविंद वसुले के अतिरिक्त संजय गडकरी और मिलिंद गजभिए यहां पदस्थ है। वर्ष 1981 को पांढुर्ना सौंसर से अलग होकर सब डिवीजन बना था। उस वक्त रिंगनखापा, मोही, टेमनीशाहनी और चांगोबा केवल चार जलाशय थे। 6 पद स्वीकृत हुए थे। इनमें से 50 प्रतिशत पद रिक्त हैं। 2002 में यहां 7 इंजीनियर थे। तब जलाशयों के निर्माण को गति मिली थी।