यात्रा के दौरान मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल एवं सिक्किम राज्यों के कई विद्यालयों में पहुंचकर शिक्षकों एवं विद्यार्थियों से शैक्षणिक स्तर की गुणवत्ता, शैक्षिक वातावरण, सहायक शिक्षण सामग्री का प्रयोग, दिव्यांग बच्चों की शिक्षा एवं बालिका शिक्षा आदि की जानकारी ली। हेमंत चांद ने अपने यात्रा के की चर्चा की अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि यात्रा बेहद रोमांचकारी रही। कुछ दूरी पर पहुंचते ही देश के अलग अलग राज्यों में बदलते परिवेश, भाषा, संस्कृति और विचारधाराओं के लोगों से मिलकर अपने उद्देश्यों की चर्चा की।
हेमंत चांद ने बताया कि वे पहले भी वर्ष 2018 में बाइक से छिंदवाड़ा से बाघा (पाकिस्तान) सीमा तक 2400 किलोमीटर एवं 2019 में सोनाली (नेपाल) सीमा तक 2000 किलोमीटर तक की यात्रा कर चुके हैं। हेमंत चांद यूथ हॉस्टल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के आजीवन सदस्य है जो संस्था ट्रैकिंग, युवाओं के रोमांच एवं साहसिक गतिविधियों के लिए जानी जाती हैं।
कहीं पर दिव्यांग शिक्षा तो कहीं बालिका शिक्षा व्यवस्था में मिली खामी
हेमंत चांद ने बताया कि पांच राज्यों में सफर के दौरान उन्हें शिक्षा के अलग-अलग स्तर की जानकारी हुई। बिहार राज्य में दिव्यांग शिक्षा में कई खामियां हैं। उन्हें उपकरण और संसाधन नहीं दिए गए। वहीं पश्चिम बंगाल में ज्यादातर बालिकाएं पढ़ाई करने की जगह चाय के बागानों में काम करते हुए मिली। नई पेंशन व्यवस्था एवं पुरानी पेंशन व्यवस्था में अंतर की जानकारी बिहार के शिक्षकों को नहीं है।
उन्होंने शिक्षकों एवं विद्यार्थियों से उस जिले एवं राज्य की शिक्षा व्यवस्था के बारे में जानकारी ली और अपने प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था के बारे में बताया। हेमंत चांद अब बिहार एवं पश्चिम बंगाल में व्यवस्थाओं को लेकर उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों से पत्राचार करने वाले हैं।