scriptमुख्यमंत्री के शहर ही हकीकत जानने पहुंचे थे अधिकारी, स्थानीय नेताओं ने मचाया बवाल | Returned to the inquiry team | Patrika News

मुख्यमंत्री के शहर ही हकीकत जानने पहुंचे थे अधिकारी, स्थानीय नेताओं ने मचाया बवाल

locationछिंदवाड़ाPublished: Jun 29, 2019 01:27:46 am

Submitted by:

prabha shankar

मक्का और गेहूं खरीदी की जांच करने आई थी टीम

Returned to the inquiry team

Returned to the inquiry team

छिंदवाड़ा. कृषि उपज मंडी में जांच करने आई पांच सदस्यीय टीम शुक्रवार को स्थानीय नेताओं के दबाव के बाद बिना जांच किए और दस्तावेज लिए ही लौट गई। यह टीम मंडी बोर्ड के एमडी के निर्देश पर मंडी में मक्का और गेहूं की खरीदी के बाद रिकॉर्ड जांच करने आई थी। ध्यान रहे इस संबंध में मंडी के कुछ व्यापारियों को खरीदी संबंधी जानकारी जांच टीम को उपलब्ध कराने को कहा गया था। शुक्रवार को दोपहर को पांच सदस्यीय दल मंडी कार्यालय पहुंचा। इस बीच व्यापारी भी वहां एकत्रित हो गए। बताया जाता है कि व्यापारियों ने बैंक स्टेटमेंट जांच दल को देने से मना कर दिया। इस बीच सत्तापक्ष के कुछ स्थानीय नेता भी वहां आ गए। हालात ये हुए कि मामला राजनीतिक रंग लेने लगा। इसबीच किसी नेता ने पुलिस को फोन कर कर दिया तो छिंदवाड़ा और धरमटेकड़़ी से पुलिस बल भी पहुंच गया। बताया जाता है कि राजनीतिक दबाव के कारण जांच दल के सदस्यों को जांच बीच में ही रोककर वापस लौटना पड़ा। मंडी के अधिकारी भी बिना जांच किए दल के लौटने की बात को स्वीकार कर रहे हंै, लेकिन राजनीतिक हस्तक्षेप या दबाव की किसी बात पर वे कुछ नहीं कह रहे।

खरीदी में हो रही दस्तावेजों की जांच
भावंातर भुगतान योजना में इस बार सबसे ज्यादा मक्का की खरीदी छिंदवाड़ा में हुई। यहां का मक्का पूरे देश सहित विदेशों में भी पहुंचा। इसके बाद समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी इस बार 9 लाख 38 हजार क्विंटल हुई। आखिरी के तीन चार दिनों में ढाई से तीन लाख क्विंटल खरीदी हुई। यह खरीदी कैसे की गई। कितने किसानों से की गई, व्यापारियों ने खरीदा तो कितना खरीदा, कितनों से खरीदा। भुगतान कैसा हुआ। जंाच में मंडी के दस्तावेजों को जांच टीम देख ही रही है, जिन व्यापारियों ने ज्यादा खरीदी की उनसे भी स्टेटमेंट मांगे गए। मामला इसी से बिगड़ा। बताया जाता है कि व्यापारियों ने जांच टीम को बैंक स्टेटमेंट देने से स्पष्ट मना कर दिया।

ऐसा क्या हुआ कि पुलिस को बुलाया…
सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि मंडी में शुक्रवार को बड़ा पुलिस दस्ता कैसे पहुंच गया। मंडी में मामला जंाच करने आई टीम, व्यापारियों और मंडी प्रबंधन के बीच का था। इस बीच ऐसा क्या हो गया कि पुलिस बल को वहां बुलाया गया।

राजनीतिक हस्तक्षेप क्यों
खरीदी खत्म होने के बाद रुटिन जंाच के लिए एक पखवाड़े पहले जबलपुर से उपसंचालक यहां आए थे। खरीदी संबंधी रिपोर्ट भोपाल भेजी थी। भोपाल से एमडी मंडी बोर्ड ने डीएस के नेतृत्व में ही सागर के अधिकारियों की टीम बनाते हुए जांच के लिए यहां भेजा था। पूरे मामले में यह बात किसी को समझ नहीं आ रही कि यदि खरीदी मामले में गड़बड़ी हुई है तो उसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। इसे प्रभावित करने राजनीतिक दबाव क्यों बनाया जा रहा है। बताया जाता है कि मंडी कार्यालय में जंाच टीम के सदस्यों के साथ एक व्यापारी से गर्मागर्म बहस भी हुई।

इनका कहना है 
मंडी सचिव ने हमें बैंक स्टेटमेंट देने के लिए कहा था। हमने पूछा कि किस अधिनियम के तहत हमसे यह जानकारी मांगी जा रही है। मुझे जो पता है उसके अनुसार इनकम टैक्स के अलावा किसी और को बैंक स्टेटमेंट मांगने का अधिकार नहीं है। व्यापारी जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं।
दिनेश अग्रवाल, अध्यक्ष, अनाज व्यापारी संघ

व्यापारियों से तीन दिन की खरीदी का बैंक स्टेटमेंट शुक्रवार को उपलब्ध कराने के लिए कहा गया था। दोपहर को सभी व्यापारी आए लेकिन उन्होंने स्टेटमेंट नहीं दिया। जांच अधिकारी से इस संबंध में उन्होंने चर्चा की। ये सही है कि दस्तावेज न मिलने के कारण जंाच नहीं हो सकी और टीम लौट गई। इस दौरान कौन नेता यहां आए या फिर पुलिस को किसने बुलाया मेरी जानकारी में यह नहीं है।
केएल कुलमी, सचिव कृषि उपज मंडी, छिंदवाड़ा

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो