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Sacrifice Day: आदिवासी समाज ने किया हक के लिए संघर्ष का ऐलान, पढ़ें पूरी खबर

locationछिंदवाड़ाPublished: Sep 18, 2019 11:21:20 pm

Submitted by:

Rajendra Sharma

सर्व आदिवासी समाज ने मनाया महाराज शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह का बलिदान दिवस

Celebrated the sacrifice day of Shankar Shah and Kunwar Raghunath Shah

Celebrated the sacrifice day of Shankar Shah and Kunwar Raghunath Shah

छिंदवाड़ा/ सर्व आदिवासी समाज ने बुधवार को आदिवासी समाज के महाराज शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह का बलिदान दिवस मनाया। दशहरा मैदान पर दोपहर दो बजे के बाद आयोजन की शुरुआत हुई। आदिवासी समाज के 10 संगठनों ने मिलकर इस कार्यक्रम को सफल बनाया। समाज समिति सदस्य अघ्घन शाह उइके और दशरथ उइके ने बताया कि उनके 162वें बलिदान दिवस के कार्यक्रम में सभी सामाजिक बंधु रैली के रूप में कार्यक्रम स्थल पहुंचे। यहां पूजा अर्चना के बाद उपस्थित अतिथियों का उद्बोधन हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि पूर्व विधायक मनमोहन शाह बट्टी , रामदास उइके, संजय परतेती, दशरथ उइके तथा अशोक उइके विधायक प्रतिनिधि के रूप में शामिल हुए। मनमोहन शाह बट्टी ने केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा आदिवासियों के साथ किए जा रहे अत्याचार और शोषण की निंदा की। उन्होंने कहा कि अब आदिवासी समाज चुप नहीं बैठेगा और अपने हक के लिए संघर्ष करेगा। रामदास उइके ने कहा कि आज देश आजाद हुए 75 वर्ष हो चुके हैं, परंतु आदिवासियों की हालत बद से बदतर होते जा रही है। उन्होंने समस्त सामाजिक बंधुओं से एकजुट होने की अपील की। जिलेभर से आए सामाजिक बंधुओं ने मंच से अपनी बात रखी। कार्यक्रम के दौरान गायन और नृत्य मंडलियों ने भी प्रस्तुतियां दीं। कार्यक्रम में बालाराम परतेती, शिवकुमार मरकाम, जितेन्द्र शाह, नेपाल शाह, अध्यनशा उइके, लालसिंग भलावी, दुर्गाप्रसाद मसराम, वीरपाल इरपाची, विजय कुसरे, संतराम टेकाम, अतुल राज उइके, शिवकुमार सिरसाम, शशि परतेती, सरला सलामे, संजू उइके, लमिया मरावी, सुगमलता धुर्वे, याशू उइके, जगराम पंद्राम समेत अन्य उपस्थित रहे। संचालन झमकलाल सरेयाम ने किया।
Celebrated the sacrifice day of Shankar Shah and Kunwar Raghunath Shah
IMAGE CREDIT: patrika
प्रशासन को सौंपा ज्ञापन

मंचीय कार्यक्रम के बाद कलेक्ट्रेट तक रैली के रूप में सभी पहुंचे और जहां सरकार के नाम एक ज्ञापन सौंपा गया। गोंडी भाषा एवं धर्म को संवैधानिक मान्यता दिलाने, वन भूमि पर काबिज आदिवासियों को पट्टे दिलाने, 5वीं एवं 6वीं अनुसूची का आदिवासी क्षेत्रों में कियान्वयन करवाने की मांग के साथ संविधान लागू होने के 70 वर्षों बाद पूर्ण रूप से आरक्षण लागू नहीं होने, आरक्षण व्यवस्था धीरे – धीरे समाप्त किए जाने का इसमें उल्लेख किया गया।
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