तिल, गुड़ से बनाए गणेश की होती है पूजा
संकट चौथ पर तिल, गुड़ मिलाकर गणेश जी की मूर्ति स्थापित की जाती है। भगवान का षोड्शोपचार पूजन कर शाम को चंद्रमा को अर्घ देकर व्रत को समाप्त किया जाता है। प्रसाद में तिल और गुड़ से बने गणेश जी का सेवन किया जाता है।
संकट चौथ पर तिल, गुड़ मिलाकर गणेश जी की मूर्ति स्थापित की जाती है। भगवान का षोड्शोपचार पूजन कर शाम को चंद्रमा को अर्घ देकर व्रत को समाप्त किया जाता है। प्रसाद में तिल और गुड़ से बने गणेश जी का सेवन किया जाता है।
यह है महत्व
इस दिन भगवान गणेश अपने जीवन के सबसे बड़े संकट से निकल कर आए थे, इसलिए इसे संकट चौथ कहा जाता है। एक बार माता पार्वती स्नान करने के लिए गई। दरवाजे पर गणेश को खड़ा कर दिया और किसी को अंदर नहीं आने देने के लिए कहा, जब भगवान शिव आए तो गणपति ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने त्रिशूल से गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया। पुत्र का यह हाल देखकर माता पार्वती बिलाप करने लगी और अपने पुत्र को जीवित करने के लिए हट करने लगी तब शिवजी ने गणेश को हाथी का सिर लगाकर उनको दूसरा जीवनदान दिया। तभी से वह गजानन कहलाए।
इस दिन भगवान गणेश अपने जीवन के सबसे बड़े संकट से निकल कर आए थे, इसलिए इसे संकट चौथ कहा जाता है। एक बार माता पार्वती स्नान करने के लिए गई। दरवाजे पर गणेश को खड़ा कर दिया और किसी को अंदर नहीं आने देने के लिए कहा, जब भगवान शिव आए तो गणपति ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने त्रिशूल से गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया। पुत्र का यह हाल देखकर माता पार्वती बिलाप करने लगी और अपने पुत्र को जीवित करने के लिए हट करने लगी तब शिवजी ने गणेश को हाथी का सिर लगाकर उनको दूसरा जीवनदान दिया। तभी से वह गजानन कहलाए।