हेमंत : मौत के मुंह में खड़े, फिर भी फर्ज निभाया
शहर के सर्पमित्रों में सबसे बड़ा नाम नगर निगम के वार्ड दरोगा हेमंत गोदरे का है, जिन्होंने १२ साल में दस हजार से अधिक सर्प पकड़े हैं। उन्हें 15 मई 2017 का वाक्या याद है जब त्रिलोकी नगर से कॉल आई थी कि एक बूढ़ी महिला घर पर अकेली है और दरवाजे पर एक जहरीला सांप बैठा है। उन्होंने सांप की पूंछ से पकडक़र हाथ में उठा लिया और डिब्बा मांगा। लोग मोबाइल पर वीडियो बंनाने में लगे रहे। इस बीच डिब्बा की आपाधापी में सर्प ने गुस्से में आकर उनकी उंगली में अपने दांत गड़ा दिए। ब्लड निकलने पर भी उन्होंने विषम परिस्थितियों में सांप को सुरक्षित पकड़ा। बाद में अस्पताल में उनका लम्बा इलाज चला। शहरवासियों की दुआओं से वे इस हादसे से बाहर आ गए। हेमंत कहते हैं कि १२ साल की उम्र में संत जागीर सिंह की प्रेरणा से उन्होंने सर्प को बचाने का काम शुरू किया। रेस्क्यू में हर पल उन्हें मौत की चुनौती मिलती है, लेकिन दूसरों के जीवन को बचाने के लिए हर समय कॉल पर पहुंच जाते हैं।
कोबरा
सांपों में सबसे जहरीला सर्प इंडियन कोबरा है जिसे नाग के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है। इसमें सबसे तेज जहर न्यूरोटोसिस पाया जाता है। यह किसी भी इंसान को तीन घंटे में मौत की नींद सुला देता है। छिंदवाड़ा में सबसे ज्यादा मिलने वाला सर्प कोबरा की एक्टिविटी 75 प्रतिशत है। ये किसी भी इंसान को बेवजह नहीं काटता।
रसल वाइपर
छिंदवाड़ा में जहरीले सांपों में कोबरा के बाद संख्या के मामले ये दूसरे नम्बर पर आता है। होमोटोक्सिस जहर वाले इस सर्प की उपस्थिति 60 प्रतिशत है। इसके जहर से इंसान की मौत नहीं होती, लेकिन सही समय पर इलाज न मिले तो इंसान मरने की दुआ मांगता है। इसका शहर मानव शरीर के उत्तक नष्ट कर देता है। जिससे शरीर सूजना, काला पडऩा व गलने लगता है व असहनीय पीड़ा होती है।
करैत
ज्यादातर रात में सक्रिय रहता है। इसे साइलेंट किलर भी कहते हैं। न्यूरोटोसिस जहर से लेस ये सांप अक्सर मानव निर्मित घरों में शिकार के लिए प्रवेश कर जाता है। मानव निर्मित जमीन पर बिछाए हुए बिस्तर पर चला जाता है। जरा सी आहट होने पर यह इंसान को काट लेता है। इसके दांत सबसे बारीक होने के कारण इंसान को एहसास नहीं होता और इंसान काल के गाल में चला जाता है। छिंदवाड़ा में इनकी उपस्थिति 45 प्रतिशत है।
शॉ स्केल्ड वाइपर
जहरीले सांपों में ये छिंदवाड़ा में चौथे नंबर पर आता है। वाइपर प्रजाति में सबसे छोटा सांप होता है। ये सर्प छिंदवाड़ा शहर के बाहरी क्षेत्र सौंसर, पांढुर्ना, अमरवाड़ा में सक्रिय है। इस सांप में मध्यम वर्ग का होमोटोक्सिस जहर मौजूद होता है। इस सांप के काटने से इंसान मरता नहीं है लेकिन समय पर इलाज न मिलने पर घातक परिणाम देखने को मिलते हैं। शरीर में छाले पड़ते है व असहनीय दर्द होता।